बेगुनाहों को भी पिटती है MP पुलिस, बशर्ते वह मुस्लिम हो

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यह तस्वीर एक बेगुनाह कैदी अब्दुल वाहिद की है जो 9 साल बाद रिहा हुआ. और राईट साइड वकील बुदेल
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बेगुनाहों को भी पिटती है MP पुलिस, बशर्ते वह मुस्लिम हो
नई दिल्ली : आज एक खबर मध्य प्रदेश से खूब वायरल हो रही है । जिसमे MP पोलके का मुस्लिमों के प्रति रवय्या सामने आया । मुस्लिमों के प्रति कुछ पुलिसवालों के दिलों में कितना जहर भरा हुआ है यह भी समझ में आ चुका है । शायद यही वजह है हजारो मुसलमानों को आतंकवाद के नाम पर फंसाया जाता है । और वह बेगुनाह मुस्लिमों को देश की अदालतें बेगुनाह बताकर बरी कर देती है । लेकिन तबतक उस बेगुनाह की और उसके परिवार की जिंदगी तबाह व् बरबाद हो चुकी होती है । क्यूंकि यह वक्फा 10/15/20 साल का होता है । ऐसे भी हजारो मामले है । 

खबर है मध्यप्रदेश से वकील को पीटने के बाद मध्यप्रदेश पुलिस ने माफी मांगते हुए कहा-हमने दाढ़ी देखकर सोचा आप मुस्लिम हो । पुलिस अधिकारी ने कथित तौर पर फोन पर पीड़ित वकील दीपक बुंदेले से कहा, ‘उन सभी लोगों को शर्म आती है कि जिन्होंने जाने बिना अपने एक हिंदू भाई के साथ ऐसा कुछ किया। जब भी कोई हिंदू-मुस्लिम दंगा होता है पुलिस हमेशा हिंदुओं का समर्थन करती है, मुस्लिमों को भी यह पता है। लेकिन जो कुछ बी आपके साथ हुआ वह अज्ञानता के कारण हुआ। उसके लिए मेरे पास कोई शब्द नहीं हैं । यह सारा माजरा वकील बुन्देल ने द-वायर से बातचीत में बताया है 

दीपक बुंदेले हैं, पेशे से वकील हैं और मध्य प्रदेश के बैतूल में रहते हैं।  दीपक बुंदेले पिछले 15 साल से ब्लड शूगर और ब्लड प्रेशर के मरीज़ हैं और अपनी दवा लेने के लिए पिछले 23 मार्च को शाम 5:30 बजे दवा लेने जा रहे थे , ध्यान रहे कि तब देश में लाॅकडाऊन की घोषणा नहीं हुई थी पर बेतूल में धारा 144 ज़रूर लगी थी। दीपक बुंदेले को पुलिस ने रोका और गालियाँ देने लगे , दीपक बुंदेले ने कहा कि यदि मैंने कुछ गलत किया है तो आप आईपीसी की धारा 188 के तहत मुझे हिरासत में लीजिए पर आप इस तरह मुझे गालियाँ नहीं दे सकते।
यह सुनते ही मध्यप्रदेश की पुलिस ने ने दीपक बुंदेले और भारतीय संविधान को गालियाँ देते हुए उनकी बर्बर पिटाई शुरू कर दी और बहुत बुरी तरह मारा। दीपक बुंदेले ने कहा कि वह वकील है और इस घटना की कंप्लेन करेगा , पिटाई फिर शुरू कर दी गयी। 24 मार्च को दीपक बुंदेले ने तमाम जगहों पर अपने साथ हुई घटना की शिकायत दर्ज कराई।

17 मई अर्थात तीन दिन पहले पुलिस उनका बयान लेने उनके घर आई और उनके बयान को मात्र 5 मिनट में रिकार्ड किया और 3 घंटे उनसे माफी माँग कर केस वापस लेने के लिए उनको समझाती रही कि पुलिस से गलती हो गयी। पुलिस के अनुसार
“यह गलतफहमी के कारण हो गया है , जाने दीजिए , आपको मुस्लिम समझ कर पुलिस ने पीट दिया।” पुलिस के शब्दों परध् यान दीजिए , “मुस्लिम समझ कर पीट दिया गया” , जैसे इस देश में मुस्लिम होना गुनाह हो गया हो। खैर दीपक बुंदेले को दर्द अवश्य हुआ होगा। खैर मुझे दीपक बुंदेले की कहानी में यहीं तक इंट्रेस्ट है।

सनी दियोल की फिल्म “घातक” में एक डाॅयलाग है “जो दर्द आज तुमने महसूस किया है उस दर्द को लेकर हम रोज़ जीते हैं। सोचिए, सिस्टम कितना ज़हरीला हो गया है, दीपक बुंदेले तो सिर्फ दाढी वाले थे, दाढी टोपी देनों देखकर प्रशासन और व्यवस्था उसे कैसे रौंदती होगी।
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