बीजापुर का हमला सामान्य नहीं है।
1 फोर्स के पास 20 दिन पहले से सूचना थी हिड़मा और उसकी टीम की उपस्थिति की।
2, याद करें 2010 में बस्तर में 76 सी आर पी एफ के जवान शहीद हुए थे। रिटायर्ड डीजी राम मोहन द्वारा की गई जांच में पता चला था कि सुरक्षा बलों का एक वायरलेस सेट नक्सलियों के पास था और उसी से उनके पास फोर्स के मूवमेंट की जानकारी मिल रही थी।
उस समय फोर्स का नेतृत्व जिस डी आई जी सी आर पी एफ के पास था, वही आज इलाके में आईजी है। इतनी बडी चूक के बावजूद सीआरपीएफ के अफसर का प्रमोशन हुआ और उसी इलाके में बहाली भी।
3, वापिस लौटते दल की अंतिम टुकड़ी पर घात लगाना, यह गत 10 साल की 7वीं घटना है। आखिर किसने इस छापे की योजना बनाई? केम्प में बैकअप फोर्स क्यों नहीं थी? 24 घण्टे तक हम अपने शहीद व फंसे जवानों को क्यों नहीं निकाल पाए?
4, आतंकी एलएमजी फिट करते रहे, उनके पास ट्रेक्टर भी थे। 1200 लोग जमा थे लेकिन ऑपरेशन के हेड के पास खबर नहीं पहुंची?
फोर्स को राजनीति में घसीटने वालों के वंश का नाश हो।
– पंकज चतुर्वेदी (सोशल एक्टिविस्ट)