प्रयागराज : लाशों वाली गंगा से आई एक और भयावह खबर ।
गंगा किनारे से हजारों लाशें गायब
Pankaj Chaturvedi
प्रयागराज से जो खबर आ रही है वह बहुत भयावह है मजबूर आर्थिक, स्थान ना मिलने से या अन्य कारणों से जो संगम के तट पर अपनों के शव गंगा-यमुना की गोद में सुरक्षित मान कर छोड़ गए थे , आज सुबह वहां सफा मैदान मिला- लाशों की पहचान के लिए लगायी गयी बल्लियाँ , धोती शाल सब गायब हैं , शर्मनाक यह है कि जिला प्रशासन कह रहा है कि उन्हें नहीं पता यह हरकत किसने की, जबकि जिस तरह से मजदूरों की फौज और मशीनरी आई , वह तो यही कहती है कि यह कुकर्म सरका का है ।
यह भास्कर की रिपोर्ट आप रोंगटे खड़े कर देगी क्या शासन इतना निर्दयी, अमानवीय हो सकता है ?
प्रयागराज, देश-दुनिया की सुर्खियों में है। वजह है गंगा किनारे दफन हजारों शव। यहां के श्रृंगवेरपुर घाट से पिछले दिनों जो तस्वीरें सामने आईं, वे विचलित करने वाली थीं। एक किलोमीटर के दायरे में एक मीटर से भी कम दूरी पर शव दफनाए गए थे। सबसे पहले दैनिक भास्कर ने ही यह जानकारी दी थी।
इसके बाद से यहां जिला प्रशासन एक्टिव हो गया है। रविवार रात को प्रशासन ने श्रृंगवेरपुर घाट पर रातों-रात जेसीबी और मजदूर लगाकर शवों के निशान मिटा डाले। घाट पर लोगों ने अपने प्रियजनों के शवों की पहचान के लिए जो बांस और चुनरियों से निशान बनाए थे, वो अब पूरी तरह गायब हैं। अब श्मशान घाट के एक किलोमीटर दायरे में सिर्फ बालू ही बालू नजर आ रही है।
स्थानीय लोगों को भी नहीं लगी भनक ।
बताया जा रहा है कि प्रशासन ने ये काम इतने गुपचुप तरीके से करवाया कि स्थानीय लोगों को भी भनक नहीं लगी। सुबह तक प्रशासनिक अमला वहां डेरा डाले रहा। लेकिन जब भास्कर ने अधिकारियों से इस बारे में पूछा तो उन्होंने कुछ भी बोलने से मना कर दिया। उलटा भास्कर रिपोर्टर से पूछ लिया कि किसने शवों की पहचान मिटायी है?
एसपी बोले- निशान हटाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे
प्रयागराज के एसपी गंगापर धवल जायसवाल का कहना है कि श्रृंगवेरपुर में शवों के निशान कैसे और किसने हटवाए, इसकी जांच की जाएगी। जो दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।
दो दर्जन मजदूर और जेसीबी लगाई गई थीं ।
श्रृंगवेरपुर घाट पर पुरोहित का करने वाले ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि शवों के निशान मिटाने के लिए करीब दो दर्जन मजदूरों को लगाया गया था। इसके अलावा दो जेसीबी भी लगाई गई थीं। जो लकड़ी, बांस और कपड़े, चुनरी और रामनामी शवों से उठाई गईं, उन्हें ट्रॉली में भरकर कहीं और ले जाया गया। बाद में उन्हें जला दिया गया।
सुबह पुरोहितों ने देखा तो मैदान साफ था ।
घाट पर बने मंदिरों में रहने वाले पुरोहित जब सुबह गंगा स्नान को जाने लगे तो देखा पूरा मैदान साफ था। शवों पर से निशान गायब थे। शवदाह का काम करने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि शवों की पहचान मिटाने के पीछे प्रशासन की क्या मंशा है, यह तो वही जाने। लेकिन यह ठीक नहीं हुआ।
जब रोकना था तब तो रोका नहीं, अब निशान मिटाने से क्या होगा?
घाट किनारे शवों के निशान हटाने से स्थानीय लोग भी नाराज हैं। उनका कहना है कि जब कोरोना का पीक था और ग्रामीण क्षेत्रों से श्रृंगवेरपुर घाट पर 60-100 शव रोज दफनाए जा रहे थे। तब तो प्रशासन ने कोई रोक-टोक नहीं लगाई। इसलिए लोगों को जहां आसान लगा और जगह मिली वहां शवों को दफनाकर चले गए। अब शवों के निशान मिटाने से क्या होगा?
यह चित्र कल सुबह का है और आज सुबह वहां मैदान है