वाशिंगटन, प्रेट्र। परमाणु करार टूटने के बाद अमेरिका और ईरान के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है। अमेरिका ने ईरान को साफतौर पर आगाह किया है कि तेहरान की ओर से अमेरिकी हितों या नागरिकों के खिलाफ किसी भी तरह का हमला होता है तो उसका तुरंत और कड़ा जवाब दिया जाएगा।
अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने सख्त लहजे में चेताया, ‘तेहरान में बैठी सरकार को यह समझ लेना चाहिए कि वे या उनकी ओर से अमेरिकी हितों या नागरिकों के खिलाफ कोई हमला होता है तो अमेरिका त्वरित और निर्णायक कार्रवाई कर उसका जवाब देगा।
ईरान हमारे संयम को संकल्प का अभाव समझने की भूल ना करे। ईरानी शासन ने अभी तक हिंसा का विकल्प चुना है। हम समृद्धि की राह देखने वाले तेहरान के लोगों से अपील करते हैं कि वे तनाव दूर करन के लिए अपने शासन के इस बर्ताव में बदलाव लाएं।’
इसके एक दिन पहले बुधवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के लौह, इस्पात, एल्यूमीनियम और तांबा क्षेत्रों पर अब तक के सबसे कड़े प्रतिबंधों का एलान किया था।
परमाणु करार से पिछले साल हटा अमेरिका
ट्रंप ने पिछले साल आठ मई को ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते से अमेरिका के हटने का एलान किया था। इसके बाद उसके तेल निर्यात को रोकने के साथ ही उस पर कई और प्रतिबंध लगा दिए। ट्रंप ने ईरान पर यह कार्रवाई उसके परमाणु कार्यक्रम और आतंकी गतिविधियों को लेकर की थी। ईरान ने 2015 में अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन, फ्रांस और जर्मनी के साथ परमाणु करार किया था।
ईरान ने पिछले बुधवार को आंशिक तौर पर परमाणु समझौते से हटने का एलान किया था। ईरान ने यह धमकी भी दी थी कि अगर समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले बाकी देशों ने अमेरिकी प्रतिबंधों से बचाने के लिए कुछ नहीं किया तो वह फिर से उच्च स्तर पर परमाणु संवर्धन करना शुरू कर देगा।
अमेरिकी वायुसेना की मध्य कमान ने शुक्रवार को बताया कि बी-52एच बमवर्षक विमान गुरुवार रात कतर में स्थित अल उदीद एयर बेस में पहुंच गए।
व्हाइट हाउस ने ईरान के किसी भी खतरे से निपटने के लिए इन विमानों को फारस की खाड़ी में तैनात करने का आदेश दिया था। गत रविवार को अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने कहा था कि ईरान पर दबाव बनाने के लिए पश्चिम एशिया में विमानवाहक युद्धपोत और बमवर्षक विमान तैनात किए जाएंगे।