नास्तिकता एक अदूरदर्शिता व संकीर्ण दृष्टिकोंण का परिणाम है जो मनुष्य को गरिमावान व आत्मवान स्थिति से च्युत कर मात्र जड़ पदार्थों का जोड़ व बन्दर की सन्तान सिध्द कर मनुष्य के साथ एक जड़ पदार्थ जैसा व्यवहार करना चाहते हैं
मैंने सुना है एक बहुत बड़ी , इमारत बनाई गई , कोई 50 वर्ष लग गये उसको बनाने। पहले design बना, उपयुक्त मैटेरियल का चुनाव किया गया, नींव बनी , वर्षों काम चला फिर अद्भुत ईमारत बनकर तैयार हुई,
फिर वहाँ एक जीव पैदा हुआ जिसकी आयु 1 घंटा है , इस 1 घंटे में वह पैदा होता है , पढ लिख कर बड़ा होता है शादी ब्याह कर मर जाता है ,
वह जीव इस ईमारत को देख कर यह कहता है कि पहले कुछ भी न था, फिर शून्य से विस्फोट हुआ और उस विस्फोट से निकले पदार्थ ने धीरे धीरे इस ईमारत का रूप ले लिया
सारी मनुष्य की वैज्ञानिक परिकल्पनायें इस अनंत ब्रम्हाण्ड के सामने ऐसी ही हैं
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