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धार्मिक प्रतिबन्ध : शाहीनबाग में अल्लाह-हु-अकबर कहने से रोक दिया
और अभी किसी मौलवी को बुला के लाया है दुआ कराने ,कहीं भगा न दिया जाये तो इस डर से डरा वह मौलवी दुआ कर रहा है या अल्लाह हमने देश के लिए जान दिया हमें बचा ले । अबे अहमक जब देश के लिए जान दिया तो अल्लाह से क्या मांग रहा देश से मांग ,देश के PM कोर्ट पुलिस आर्मी से मांग के बचा ले।
हक़ के लिए जान देने को तैयार हो अल्लाह के लिए जान देनी है तो मांग अल्लाह से। हर काम अल्लाह को नाराज़ करने वाला और उम्मीद की अल्लाह मदद आये । टंगवा रखा के औरतें के बैठने से देवियों का आगमन होता है तो भाई बुला देवियों को। टांग रखा हैं फ़क्र से बड़ा सा बैनर के हमने यहां हवन करवाये तो मांग उनसे जिनके लिए करवाये ।सेक्युलरों को बुला।
अल्लाह इन हरकतों से नाराज़ होता है राज़ी नहीं होता। तू हरकत कर अल्लाह को नाराज़ करने वाली और उम्मीद कर के अल्लाह तेरी मदद को आ जाये क्योंकि तू संविधान बचा रहा। अबे जब तू अल्लाह का बनाया संविधान (क़ुरान) बचा ही नहीं रहा उसको उठा कर फेंक दिया और कुछ और अपना उसको बचा रहा तो तुझे अल्लाह किस बात का बचाये ?
तुम पर और ज़ालिम बादशाह क्यों न मुस्सल्लत कर दे ? तुम्हे तो सेक्युलर खुदाओं को पुकारना चाहिए क्योंकी नर्मी उन्ही से हासिल करनी थी ना ? अल्लाह की मदद कब आती है उसकी क्या शर्तें होती है ?