SD24 News Network : किसान का बहुजन होने वाला है, दाल, आलू, प्याज नही रही जरूरी चीजें, जमाखोरों को खुली छूट – विकास राठौर
कृषि उपज व्यापर और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक के साथ आवश्यक वस्तु (संसोधन) अधिनियम 2020 भी पास हुआ है, असली खतरा यही है।
अब अनाज, दाल, तिलहन, खाद्यतेल, आलू और प्याज जैसी वस्तुओं की जमाखोरी कानूनी रूप से वैध है, इस संसोधन के बिना नया कृषि विधेयक बड़े खिलाड़ियों के लिए बेकार था. सभी विपक्षी पार्टियों ने केवल कृषि विधेयक पर बात की, इस को ये चोर बुद्धिजीवी (आवश्यक वस्तु अधिनियम संसोधन) को पी गए, किसी ने इसपे लिखना जरूरी नहीं समझा शायद उनके मालिकों ने मना किया होगा, किसान विचारक भी इस संसोधन पर चुप हैं।
यह संसोधन भविष्य किसान का बहुजन कर देगा, जिस तरह लोग बहुजन शब्द से घृणा करने लगे हैं वैसे ही अगले 10 साल बहुत हद 20 साल में लोग किसानों से नफरत करने लगेंगे, जमीन कब्जाने का इसके असली खेल इसके बाद शुरू होगा, साथ ही किसान केलिए करेला नीच चढ़ा जैसी स्थिति ये भी है कि बीज किसान के हाथ से निकल चुका है और खेती के रसायनों के लिए पूरी तरह बाजार पर निर्भर है।
मजे की बात ये है कि सरकार ने आढ़तियों का भी ख्याल रखा है….. वो तो आवश्यक वस्तु(संसोधन)अधिनियम 2020 के जरिए सेट हो जाएंगे और कम्पनियों के लिए डील करेंगे।
जिन हूतियों के ऊपर बिजली गिरने वाली है वो हूतिए सोच रहे हैं कि किसानों के ऊपर बिजली गिरने वाली है! कृषि उपज व्यापर और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक किसानों का हालिया कुछ नहीं बिगड़ेगा लेकिन आवश्यक वस्तु (संसोधन) विधेयक इन हूतियों की गांव का चबुतरा बना देगा।
हैरत की बात ये है कि इस बिल से सबसे ज्यादा नुकसान दलितों और मुसलमानों(मतलब रोज कमा के खाने वाले लोगों) को होगा, क्योंकि इस बिल के पुरक के रूप में एसेंशियल कमोडिटी एक्ट को कमजोर कर के जमाखोरी को वैध बना दिया गया है, किसान तो फौरी तौर पर फायदे में रहेगा, कम्पनियां फूड मार्केट पर कब्जा करनेके लिए शुरुआत में किसानों को खूब पैसा देंगी…… बाद का पता नहीं!
(विकास राठौर, आगरा, इनके निजी विचार)