ये मर्माहत कर देने वाली करुण शब्द उन बच्चों के हैं जिनके पिता जिंदगी से संघर्ष करतें-करतें हार कर ख़ुद को समाप्त कर लिया!
उसके बच्चे तीन दिन से अन्न के लिए बिलख रहे है। अब अब ये भूख पेट की अन्तरिया को ऐंठ रही है,और बच्चे रोटी की तलाश में लटके पिता को छोड़कर पड़ोसी के घर पहुंचा है।
चौंकिए नही …ये कहानी नाइजीरिया की नही है। ये सच्चाई उस देश की है जो ‘विश्वगुरु’ होने का का दम्भ भरता है। यह दिल दहला देने वाली घटना #उत्तरप्रदेश के #बरेली जिले की है। तीन दिनों तक मासूम बच्चे भूख से तड़पते रहे और उन बच्चों का पिता फांसी के फंदे पर लटका रहा।
जब बच्चों को भूख बर्दाश्त नहीं हुई तो वो पड़ोसी के घर पहुंचे और बोले कि 3 दिन से कुछ नहीं खाया है, पापा लटके हुए हैं, मर गए हैं। सुनते ही पड़ोसियों के पैरों तले की जमीन खिसक गई।
न जाने कैसा ‘न्यू इंडिया’ बनाया जा रहा है.. क्या वाकई हमारी संवेदना भी बच्चे के पापा की तरह लटके हुए हालात में है जो इतनी मंर्मिक चीत्कार को भी सुनने की स्थिति में नही है ? कितनी शर्मनाक वाक्या हैं …जिस देश के मुँहबली हुक्मरान 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था की दिवास्वप्न की बात करता हैं उस देश मे लोगो को रोटी तक नसीब नही होता है ।
जिस देश मे 20 हजार करोड़ से सत्ता के सिंहासन पर विराजमान सम्राट के लिए आलीशान अय्यास महल बनाया जा रहा हो, जिस प्रदेश में भव्यतम मन्दिर बनाया जा हो, जिस राज्य में कांवरियों पर हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा की जाती हैं …. उस देश मे इस तरह मानवीय संवेदना सिसक रही है ।