ढाबे वाले बाबा को ट्रेंड करने वाले तब तब कहां थे जब लाखो बुजुर्गों का पेंशन छीना जा रहा था ?

जिस वक्त बुजुर्गों की पेंशन छीन ली गई, उस दौर में एक ढाबे वाले बाबा को ट्रेंड कराकर लोग

SD24 News Network : ढाबे वाले बाबा को ट्रेंड करने वाले तब तब कहां थे जब लाखो बुजुर्गों का पेंशन छीना जा रहा था ?

ये विचित्र देश है. जिस वक्त बुजुर्गों की पेंशन छीन ली गई, उस दौर में एक ढाबे वाले बाबा को ट्रेंड कराकर लोग उनकी मदद करना चाह रहे हैं. लेकिन ये कोई नहीं पूछता कि बुजुर्गों को पेंशन क्यों नहीं दी जाती ताकि वे अपना बुढ़ापा आराम से काट सकें. 
जिन बुजुर्गों की मदद के लिए फोटो वायरल कराई जा रही है, क्या इन्हें वृद्धावस्था पेंशन मिलती है? 
क्या आपको पता है कि 2004 में सरकारी कर्मचारियों को पेंशन की व्यवस्था खत्म कर दी गई और नेशनल पेंशन स्कीम लाई गई जो एक तरह की बीमा योजना है? इसमें आप जितना पैसा निवेश करेंगे, वही बुढ़ापे में आपको पेंशन के रूप में मिलेगा. 
क्या आपको पता है कि एम्प्लॉय पेंशन स्कीम यानी EPS-1995 के तहत आने वाले रिटायर्ड कर्मचारियों से भारत सरकार मुकदमा लड़ रही है ताकि उन्हें पेंशन न देना पड़े? 
EPS पेंशनर्स अपनी पेंशन के लिए सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों और केंद्र से गुहार लगा चुके हैं, पीएम को कई बार पत्र लिख चुके हैं, सुप्रीम कोर्ट से काफी पहले फैसला आ चुका, लेकिन सरकार ने अमल नहीं किया. मजे की बात है कि सरकार अपने देश के ही बुजुर्गों को पेंशन देने की जगह उनसे मुकदमा लड़ रही है. 
क्या आपको मालूम है कि कई महीनों तक रिटायर्ड सेना के जवान जंतर-मंतर पर महीनों तक धरना देते रहे, लाठी खाते रहे और उनसे किया गया ‘वन रैंक वन पेंशन’ का वादा पूरा नहीं किया गया. रिटायर्ड जवानों ने आरोप लगाया कि मोदी ने पूर्व सैनिकों को वन रैंक वन पेंशन का आश्वासन दिया था, लेकिन ओआरओपी की परिभाषा को बदलकर पूर्व सैनिकों को गुमराह किया.
क्या आपको पता है कि जीवन भर सरकारी नौकरी के जरिये देश की सेवा करने वालों का बुढ़ापा का सहारा छीन लिया गया है? 
क्या आपको पता है कि देश भर में रिटायर्ड कर्मचारियों के अलग अलग संगठन पेंशन बहाल करने की मांग कर रहे हैं और अलग अलग अदालतों में मुकदमे चल रहे हैं? 
देश का हर व्यक्ति जो भी काम करता है, वह देश की सेवा कर रहा होता है. चाहे वह सेना में अधिकारी हो, चाहे अध्यापक हो, चाहे एमएनसी में हो, चाहे नगरनिगम हो, हर व्यक्ति देश की सेवा करता है. जो व्यक्ति अपना जीवन सरकारी सेवाओं में खर्च कर दे, सरकार बुढ़ापे में उसका आर्थिक सहारा छीन रही है. हम आप कितने लोगों के ठेले पर खाना खाकर उनकी रोजी चलाएंगे? 
क्या आपको ये सवाल कचोटता है कि जिसने 60 बरस तक देश की सेवा की, उसे बुढ़ापे में बेसहारा क्यों किया जा रहा है? क्या आपने इस बारे में कभी सवाल पूछा है?

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