यूपी सरकार ने डॉ काफिल पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत कार्यवाही करते हुए उनकी गिरफ्तारी के आदेश जारी किए हैं। आरोप लगाया गया है डॉ काफिल ने भड़काऊ भाषण दिया था जो देश की सुरक्षा के लिए खतरा है। बिना किसी किन्तु परन्तु के हम यूपी सरकार के इस तर्क को स्वीकार कर लेते हैं लेकिन इसका देश के विरूद्ध क्या प्रभाव पड़ेगा इसका विश्लेषण भी जरूरी है। अमेरिका की कमजोर होती साख और सत्ता के कारण एक नए ध्रुवीकरण की कोशिश की जा रही है। मुस्लिम देश इस ध्रुवीकरण का केंद्र है क्योंकि विश्व की अधिकांश सम्पदा इन्हीं मुस्लिम देशों के पास है।
इस्लामी जगत को लामबन्द करने के लिए दो धड़ों में प्रतियोगिता चल रही है, जहां एक ओर पाकिस्तान, तुर्की, मलेशिया तथा ईरान एक मंच पर है। वहीं दूसरी ओर अमेरिका परस्त सऊदी अरब कुछ दूसरे सुलतानों के साथ दूसरा डेरा जमाने की कोशिश कर रहा है। क्योंकि मोड़ी सरकार द्वारा नस्लवादी कानून के कारण वैसे ही विदेशो में काफी बदनामी हो चुकी है और 75 साल बाद कोई हिटलर के होलोकास्ट तथा हमारे डिटेंशन सेंटर की तुलना कर रहा है बेशक इससे ज्यादा लोग माओ ने ही मरवा दिए थे। ऐसे में डॉ काफिल या किसी भी अरेबिक नाम वाले भारतीय नागरिक के विरूद्ध उठाए गए कदमों को नव मुस्लिम गठजोड़ भारत सरकार द्वारा अल्पसंख्यकों के विरूद्ध सरकारी आतंक के रूप में बताएगा और अपने कि मुस्लिम हितेषी साबित करने के फेर में भारत विरोधी नीतियों से परहेज़ नहीं करेगा।
क्योंकि इस्लामिक देशों द्वारा निर्यात के नाम पर केवल तेल होता है तो उन्हें भारत जैसे खुदरा कारोबार की चिंता भी नहीं होती दूसरा हमारी बर्बाद अर्थव्यवस्था के कारण अब हम युरोप या किसी अन्य देश के लिए भी महत्वपूर्ण नहीं रहे। इन परिस्थितियों में सम्भव है कि पड़ोसी द्वारा शोर शराबा किया जाए और खाड़ी के देशों से हमे तेल की सप्लाई बाधित करने अथवा हमारे मजदूरों की वापसी जैसे कदम उठाए जाएं। किसी भी हालात में ऐसा उजाड़ हिन्दू राष्ट्र बनाने की कल्पना उल्लू और चमगादड़ों की इच्छा हो सकती हैं जो चाहते हैं कि शहर यदि खंडहर हो तो उनके बसने का ज्यादा बेहतर स्थान मिलेगा।। हे प्रभु यदि तू है तो मूर्खो को सद्बुद्धि दे।
-Parmod Pahwa