“टॉमी छू” भावनाएं अपने नुकीले दांत दिखा दिखाकर राहत इंदौरी पर भौंक रही है
कुछ सोशल मीडियाई को भाजपा IT सेल ने याद दिलाया कि डेढ़ दशक पहले राहत इंदौरी ने किसी कवि सम्मेलन में अटलजी के घुटनों का मज़ाक बनाया था
बस तभी से इनकी “टॉमी छू” भावनाएँ अपने नुकीले दाँत दिखा दिखाकर राहत इंदौरी पर भौंक रही है
“टॉमी छू” भावनाएँ कहना इसलिए जरूरी है क्योंकि इन अकल के अंधों की भावनाओं का रिमोट कंट्रोल भाजपा के पास है, कब कहाँ कैसे और किस पर आहत होनी है ये ऊपर से तय होता है वरना
इनकी भावनाएँ तब आहत नहीं हुई जब अटलजी को शराबी, वैश्याखोर और ब्रिटिशों का दलाल कहने वाला सुब्रमण्यम स्वामी भाजपा में आ गया
इनकी भावनाएँ तब आहत नहीं हुई जब संसद के अंदर समाजवादी पार्टी का सांसद बनकर रामायण के पात्रों की तुलना शराब के अलग अलग ब्रांड से करने वाला नरेश अग्रवाल को खुद अमित शाह ने नारंगी पट्टा गले में डालकर भाजपाई बनाया
इनकी भावनाएँ तब आहत नहीं हुई जब आडवाणी ने जिन्ना को “सच्चा सेक्युलर” कहते हुए उसकी कब्र पर नाक रगड़ी थी
इनकी भावनाए तब आहत नहीं हुई जब “सैनिक तो होते ही मरने के लिए है” कहने वाला RJD का विधायक भाजपा जॉइन कर लेता है
राहत इंदौरी का मुसलमान होना ही काफी है दक्षिणपंथियों के चरित्रहनन की वजह बनने के लिए
याद रखिए अगर राष्ट्रवाद, देशभक्ति, धार्मिक आस्था जैसी चीजें ड्रग्स है तो भाजपा आरएसएस इस फील्ड के ड्रग माफिया है
भास्कर सुनील