टीपू सुल्तान की वंशज नुरुन्निंसा, हिटलर से अकेले भिड़ गयी, तानाशाह के पसीने छुट गए
नूर इनायत खान का नाम बहुत कम लोग जानते हैं। वह दुनिया का क्रूर तानाशाह एडोल्फ हिटलर से सिधी जा भिड़ी थी। दूसरे विश्वयुद्ध में नूर ब्रिटेन की एक बेखौफ महिला जासूस थी, जो फ्रांस में हिटलर के खिलाफ मैदान में थी।
मूलतः फ्रांस निवासी नूर जर्मनी द्वारा पर कब्जा किए जाने के बाद अपने परिवार के साथ फ्रांस से निकलकर ब्रिटेन रवाना हो गई। वहां उसने अपने देश याने फ्रांस को बचाने ब्रिटेन के लिए हिटलर के खिलाफ लड़ने की ख्वाहिश जाहिर की। कुछ प्रशिक्षणों गुजरने के बाद नूर इनायत को ब्रिटेन के प्रशासन में महत्वपूर्ण ओहदे पर नौकरी मिली। जो आगे जाकर लेडी जासूस के उच्च स्तर के अधिकारी के रूप में परिवर्तित हुई।
नूर एक खुफिया जासूस जासूस थी। हिटलर को परास्त करने ब्रिटेन ने एक नीती बनवाई थी, जिसके तहत जो लोग हिटलर के सत्ता के खिलाफ है, उनको उकसाना, बरगलाना और उन्हें हिटलर के खिलाफ खड़ा करना था। जिसके लिए विन्स्टन चर्चिल ने ऐसे कई दल फ्रांस भेजे थें। जो अपना काम बखूबी से कर रहे थें। इनकी सारी रिपोर्ट, और अन्य खुफिया जानकारी ब्रिटेन तक पहुंचाने की जिम्मेदारी नूर पर थी। जो खुद भी इस तरह के कई काम वह फ्रांस में रहकर करती थी।
यह काम करना उसके लिए आसान था। क्योंकि वह मूल रूप से फ्रांसीसी थी और अंग्रेजी के साथ स्पेनिश भाषा को और वहां के संस्कृति को अच्छी तरह जानती थी। खुफिया काम करते वह पकड़ी गई। परंतु उसने हिटलर को अपने काम के बारे में तथा अपने साथियों के बारे में जानकारी देने से मना किया। हिटलर के गेस्टापो जो एक खुफिया पुलिस थी, उसने नूर को तरह-तरह से तंग किया। प्रताड़ित किया और उस पर क्रूर अमानवीय अत्याचार किए। फिर भी नूर में कोई सुराग या कोई बात उनको नहीं बताई। हिटलर की पुलिस परेशान थी, उसने कई प्रयोग किए पर नूर इनायत बिल्कुल नहीं टूटी।
आखिर हिटलर के पुलिस ने नूर इनायत को गोली मार दी। जब नूर इनायत की मौत हुई तब उसकी उम्र केवल 30 साल थी। बहुत कम लोगों को पता है कि नूर इनायत खान भारतीय वंश कि महिला थी। नेहरू और गांधी उसके आइडियल थे। उसने महात्मा गांधी और नेहरू के स्वाधीनता संग्राम से प्रेरणा ली थी। कहते हैं, नूर के नाना 1857 के विद्रोह में अंग्रेजों द्वारा मारे गए थे। वह मैसूर शासक टिपू सुलतान के लडके थें। इन्हीं कि एक लडकी थी, जिसका नाम कासिम बी था।
टिपू सुलतान के वफादार सेवकों ने अंग्रेजों के डर से कासिम बी को एक गुप्त जगह पहुंचा दिया था। आगे कासिम बी की शादी मौला बख्श से हुई। जो बड़ौदा प्रांत में रहते थे। नूर इनायत इनकी पोती थीं। 1799 में टिपू सुलतान के मौत के बाद अंग्रेजों ने उनके परिवार को शहर बदर कर दिया था। जिसके बाद जान बचाने के लिए यह परिवार भारत में अपनी पहचान छुपाकर बहुत सालों तक रहा। नूर के पिता इनायत खान संगीत के शौकीन थे और एक म्यूजिक ग्रुप चलाते थे। इस बैंड में उनके दो संबंधी थे। सितंबर 1910 में यह लोग मुंबई होते हुए रोजी-रोटी के तलाश में अमरिका गये। ब्रिटेन यात्रा के दौरान 1914 में नूर का जन्म हुआ। पूरे 10 साल यूरोप में यहां-वहां भटकने के बाद 1920 में वह हमेशा के लिए पेरिस में जा बसे। नूर इनायत खान टिपू सुलतान कि सिधी वंशज थी। जो एक बहादुर महिला थी। जिसने खूंखार तानाशाह हिटलर के खिलाफ जंग में अपना बलिदान दिया।