जन धन योजना – जिन्होंने खाते खोले वो आज भीख माँग रहे हैं । नौकरी होगी काम होगा तो खाते में पैसा जायेगा ना । स्किल इंडिया – इसका बजट वो हड़प गए जिनके पास योजना चलाने के लिए ज़मीन थी । जिनको कुछ सीखना था उनको पर्यटन कराया एक सर्टिफ़िकेट थमाया और वापस भेज दिया ।
मेक इन इंडिया – केवल बैठकों का दौर चलता रहा । बन के कुछ नहीं आया । स्वच्छ भारत – शहर से लेकर गाँव नरक हैं और गंगा तो आज रो रही है । बेटी बचाओ – इसपर तो ना ही बोला जाये तो बेहतर होगा ।
मुद्रा योजना – मुद्रा किनको मिली पता नहीं ।
स्मार्ट सिटी योजना – जन्म से पहले ही दम तोड़ गए ।
स्टार्ट अप इंडिया – स्टार्ट होने से पहले बजट नेता खा गए ।
स्टैंड अप इंडिया – नोटबंदी ने किसी को खड़ा होने का मौक़ा ही नहीं दिया ।
उज्ज्वला योजना – सिलेंडर मिला पर दोबारा भरने का पैसा किस गरीब के पास था ?
नामामी गंगे योजना – लाशें लिए बैठी हैं माँ गंगे।
और आत्म निर्भर भारत – शायद करोना से ख़ुद ही लड़ने के लिए बनायी गयी थी । साहब कुर्सी हथियाने में व्यस्त थे ।
स्वास्थ्य योजना – कुछ तो जनता भी करेगी ना ?
एक तरफ से जुमला डालो दूसरी तरफ से वोट निकालो।
नामकरण में पारंगत होना एक बात है । कोई भी एजेन्सी कर देगी ।
योजना पर काम करना ज़रूरी था ?