जानिये क्या है Citizenship Amendment Bill क्यों हो रहा इसपर बवाल?-एड, बिलाल

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नांदेड के जानेमाने एडवोकेट शेख बिलाल संविधान के तहत बताते है के भारतीय संविधान के अनुच्छेद 11 ने भारत सरकसर को नागरिकता के लिये वक़्त वक़्त कानून बनाने और उसमें बदलाव के अधिकार दिए है वही अधिकार को लेकर The Indian Citizenship Act 1955 बनाया गया , और उस के सेक्शन 03 में नागरिकता के बारे में बताया गया है और 1 july 1987 और Dec 2003 में इस मे बदलाव किय गए*
*2016 में मोदी सरकार ने ये बिल पारित किया था मगर वो बिल पास नही हो सका था, ये बिल के अनुसार मुसलमान को छोड़ कर हिन्दू बौद्ध सिख जैन पारसी और ईसाई को भारत मे नागरिकता देने को तैयार है । माइनॉरिटी विशेषतः पाकिस्तान अफगानिस्तान और बांग्लादेश में जो भी ये 6 समुदाय के लोग है वो भारत मे आकर रह सकते है और उन्हें 6 साल के अंदर भारतीय नागरिकता दी जाएगी । वैसे तो किसी भी गैर मुल्की को भारतीय नागरिकता लेने के लिए भारत मे कम से कम 12 से 14 वर्ष गुज़ारने पड़ते है । और शर्त और नियिमो का पालन करना पड़ता है तब कहि जाकर भारतीय नागरिकता मिलती है ।* 
ये बिल लाने का उद्देश्य
मोदी सरकार ने  ये बिल Nov 2019 में लोकसभा में पास करवा कर राज्य सभा मे पेश कर चुकी है ।अभी जो लोग खास हिन्दू समुदाय के लोग NRC आसाम में लिस्ट से बाहर है उनको आसानी से भारतीय नागरिकता दे ऐसा मोदी सरकार का सोंचना है , ये बिल को लेकर बहोत सारे लोगो ने आपत्ति जताई है आसाम में भी इसको लेकर जनता ने विरोध जताया है । क्यों के अगर ये बिल पास होता है तो आनेवाले जो लोग है उनकी संख्या लग भग 40 से 50 लाख बढ़ सकती है ।
1-अगर वो भारत आजाएँगे तो रहेंगे कहा ये प्रशन पैदा होता है ।
2- आसाम में पहले से ही गैर आसामियों को लेकर अनवाद फैला हुआ है और NRC की लिस्ट भी जारी हुई है । बंगाल में भी इतने लोगो को शरण व ज़मीन देने की गुंजाइश नज़र नही आती*
3- इतने सारे लोगो को रखने का और खिलाने पिलाने का इंतज़ाम कौन करेगा*
4- उनलोगों को काम और कारोबार कौन देगा*
5- आनेआले लोगो का कलचर, भाषा और रीति रिवाज में काफी फर्क होगा क्या वो भारतीय संस्कृति पे असर अंदाज़ होंगे।
सब से खास बात यह है की, अगर ये बिल पास भी होता है तो क्या ये टिक पायेगा ? क्यों के भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 Equal before Law and Equal protections of Laws, का उलंघन करता है, जो सुप्रीम कोर्ट में आसानी से खारिज हो सकता है। देखना ये है के ये बिल राज्य सभा मे पास होगा या नही ये बिल भारतीय संविधान के मूल आत्मा को उलंघन करता है तो क्या संविधान प्रेमी इस बिल के खिलाफ  क्या करते है ।
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एडवोकेट शेख बिलाल
नांदेड़, महाराष्ट्र

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