जब कानून बिकने लगता है…
जब कानून कौडीओ के दाम मे बिकने लगता है,
तब तब नई क्रांती का जन्म होता है!
मंदिर-मसजीद के झगडो मे तो सिर्फ नेताओंका पेट भरता है,हां जब जब कानून कौडीओ के दाम मे बिकने लगता है!
राफेल कि गूंज से अंबानी कि दलाली तक, फाईलों कि बौखलाहट से चोरी होनी कि साजीस तक सब कूछ बीक जाता है,कयूँ की जब जब कानून कौडीओ के दाम मे बिकने लगता है!
बाबरी कि कूरबानी देदी हमने उस संविधान कि किताब को देखकर,
पर हमे क्या पता था उसने तो ईमान बेच रखा था राज्य सभा मे आपनी तशरीफ रखकर!
कह्ता था लोया के खून कि कानूनन जांच होगी,
पर उसे तो एक तडीपार ने डरा दिया बोला मान जाओ वरना लोया से मुलाकात होगी!
अब हम किसे हम पर होने वाले जूलम कि फरयाद दे,
चोरोंकी टोली मे बैठ कर तुम हमारे जनाजे पे ही सही थोडी सी मुसकुराहट देदे!
देश कि सबसे उंचे पद पर बैठकर लगता था हमारी हक्क कि लडाई हम जरूर जिताएगा कानून पढ कर,
अब बिलकूल भी नही रहा भरोसा उस पर जो काले कानून पर राज्य सभा मे वोट डालेगा मजहब देखकर!
आब तो मेरी लफज बे शरमसार हो चूकी है ए तस्वीर देखकर,
कयूँ की अब तो कानून बीक रहा है कौडीओ के दाम पर!
-एड. नितीन सोनकांबळे, नांदेड महाराष्ट्र