छिनता हुआ मताधिकार और भारतीय समाज मूक दर्शक ? सभी राजनीतिक दलों और आम मताधिकारी यानि वोटर के लिए
क्या आप वर्तमान की राजनीति से संतुष्ट हैं ?
प्रत्येक दिन बलात्कार और महिलाओं, बच्चियों की बेरहमी से हत्याएँ क्या इनसे अनजान हैं ?
बेरोजगारी, भुखमरी, ऊपर से महँगाई क्या इससे आपको फर्क पड रहा है ?
आपको लंगर में भीख, बस किराया मुफ्त, बिजली फ्री, यानि भीख चाहिए या रोज़गार ?
आपके बच्चों को आंगनबाड़ी में सडा गला बेकार दलिया खिचडी चाहिए या स्कूल में अच्छी और उत्तम शिक्षा ?
रोज़ाना जानवरों के नाम पर, धर्म और जाति के नाम पर बेरहमी से हत्याएँ क्या इन्हें स्वीकार करते हैं ?
भारतीय युवा बेरोजगारी के कारण, लूटपाट डकैती हत्याएँ बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों में लिप्त होते जा रहे हैं क्य आप सहमत हैं ?
गांव देहातों से लेकर शहरों कस्बों तथा महानगरों की अनुसूचित जाति जनजाति ओबीसी और मुस्लिम कॉलोनियों में नशीले पदार्थों की बिक्री जानबूझकर कराई जा रही है क्या आपके बच्चों का भविष्य सुरक्षित है ?
ऐसे लाखों सवाल हैं जिन पर आपको विचार करने की बहुत जरूरत है
हमारे देश के बुद्धिजीवी महापुरुषों ने ऐसी गैर मानवीय व्यवस्था को जड से समाप्त करने के उद्देश्य से भारतीय संविधान की रचना की ताकि भारत का प्रत्येक व्यक्ति महिला पुरुष तथा बच्चे सुरक्षित रहें उनके लिए न्यायालय बनाया बेरोजगारी को खत्म कर सभी भारतीयों को रोजगार मुहैया कराने के लिए श्रम मंत्रालय बनाया, अन्य देशों से आयात निर्यात व्यापार के लिए विदेश मंत्रालय बनाया, देश के लिए उत्तम योजनाओं के लिए योजना मंत्रालय बनाया जिसे नीति आयोग कहा जाने लगा, मानव साधन संसाधनों की पूर्ति के लिए प्रत्येक क्षेत्र में आयोग तथा मंत्रालय बनाये, भारत में विभिन्न जातियों और कई धर्मो को मानने वाले लोग रहते हैं जिनके लिए अलग- अलग आयोग बनाये कि वो निगरानी रखेंगे सर्वे करेंगे कि समाज में कोई परेशानी तो नहीं ? लेकिन भारतीय संविधान 1950 से आजतक लागू नहीं किया गया क्योंकि ये सभी मंत्रालय और आयोग समाज के प्रति ना तो जवाबदेही बने ना ही ईमानदारी से कर्तव्य निभाया बल्कि भारतीय मुद्रा का दुरुपयोग किया ऐसा कई संगठनो का आरोप है.
अगर भारतीय संविधान पर सख्ती से अमल किया जाता तो ये जो भारत में गैर बराबरी और अमानवीय व्यवस्था है इसके लिए संविधान में कोई स्थान नहीं. भारत में 70 साल से आप जिन नेताओं को मताधिकार से चुनते आ रहे हैं शायद आप जानते नहीं कि ये नेता लोकसेवा के लिए चुने जाते हैं. लेकिन इन नेताओं ने लोकसेवा नहीं की बल्कि देश की मुद्रा को अपनी तिजोरियों में भर लिया और भारतीय समाज को बिल्कुल अपाहिज बना दिया क्या आपको ये बात समझ में आई और आई तो फिर से इन्हे ही चुनेंगे ?
मताधिकार आपको शक्ति देता है देश में संविधानवादी विचारधारा की सरकार बनाने की ये सोच लीजिए लडाई है संविधान विरोधी और संविधानवादी के बीच की संविधान विरोधी यानि गैर बराबरी की अमानवीय व्यवस्था के पोषक. संविधानवादी समतामूलक विकसित राष्ट्र निर्माण के पोषक जिसमें प्रत्येक भारतीय सुखी संपन्न खुशहाली भरा जीवन यापन कर सके
संविधानवादी सरकार के पक्षधर लोगों को ईवीएम यानि इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन का विरोध करना होगा क्योंकि ईवीएम में सोफ्टवेयर से गडबडी निश्चित है. इसके बदले में चुनावी पारदर्शिता लाने के लिए सिर्फ बैलेट पेपर से निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग को मजबूर करना होगा क्योंकि निष्पक्ष चुनाव आपके लिए भारतीय संविधान के तहत अधिकार में निहित है/ इसके लिए चुनाव आयोग पर दबाव बनाना आपका मताधिकार का अधिकार है. इस विषय पर कुछ संगठन देशभर में जागरूकता का अभियान चला रहे है उनका मानना है के EVM में गड़बड़ी हो सकती है.
भारत में जितने भी सामाजिक या राजनीतिक संगठन या देशहित में सोचने वाले चाहते हैं कि भारत में संवैधानिक अधिकार मिलने चाहिए और सभी भारतीयों को धन, धरती, शिक्षा, चिकित्सा, स्वास्थय, न्याय और सुरक्षा एक समान मिले उन सभी को संविधानवादी राष्ट्रनिर्माण आन्दोलन करना होगा. देशहित में एकजुट होना होगा. इस तरह की अपील अवाम संगठन के एस एल खैरालिया इन्होने की है.
जय संविधान जय भारत
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