गोदी MEDIA की खुली पोल, महिला पत्रकार पर कोई पाबन्दी नहीं, TALIBAAN लिया इंटरविव

गोदी MEDIA की खुली पोल, महिला पत्रकार पर कोई पाबन्दी नहीं, TALIBAAN  लिया इंटरविव

SD24 News Network -गोदी MEDIA की खुली पोल, महिला पत्रकार पर कोई पाबन्दी नहीं, TALIBAAN  लिया इंटरविव

20 साल पहले भी इस्लामोफोबिक बिमारी से ग्रस्त गोदी मीडिया द्वारा प्रचार किया गया था की, जब अफगानिस्तान में तालिबान ने सत्ता संभाली थी, तब महिलाओं पर कई प्रतिबंध थे जैसे पुरुषों के साथ काम करने पर प्रतिबंध, शिक्षा प्राप्त करने पर प्रतिबंध, बुर्का में रहने का फरमान, घर से बाहर निकलने का फरमान। किसी पुरुष सदस्य या बच्चे का साथी। उनकी वजह से तालिबान की आतंकी छवि और भी भयानक हो गई थी।  इस बार भी मडिया ने कोई कसर नहीं छोड़ी. लगातार तालिबान में मुह घुसाए हुए है और फर्जी खबरे फैला रहा है.
इंडिया टाइम्स की खबर के मुताबिक, यह सब बहुत ही अकल्पनीय था जब तालिबान शासन के तहत एक महिला को टीवी पर एंकरिंग करते देखा गया था। अफगानिस्तान के प्रमुख मीडिया आउटलेट्स में से एक, टोलोन्यूज़ ने आज महिला एंकरों के साथ अपना प्रसारण फिर से शुरू किया।
टोलोन्यूज की प्रमुख मिराका पोपले ने ट्वीट किया, “हमारी महिला प्रस्तोता तालिबान मीडिया टीम के एक सदस्य का हमारे स्टूडियो में साक्षात्कार कर रही है।”

We resumed our broadcast with female anchors today.@TOLOnews #Afghanistan pic.twitter.com/YLqtJEYceL

— Miraqa Popal (@MiraqaPopal) August 17, 2021

इस छवि में, मेजबान बेहेशत अरगंड ने तालिबान की मीडिया टीम के एक करीबी सदस्य, काबुल की स्थिति और शहर में घर-घर की तलाशी के बारे में मावलवी अब्दुलहक हेमाद का साक्षात्कार लिया। जबकि महिला पत्रकार भी काबुल की सड़कों से लाइव रिपोर्टिंग करती नजर आईं।

Our female presenter is interviewing a Taliban media team member live in our studio @TOLOnews #Afghanistan pic.twitter.com/G6qq1KWKOH

— Miraqa Popal (@MiraqaPopal) August 17, 2021

लेकिन यह सब हमारी भारतीय मीडिया को दिखाई नहीं दे रहा ना ही उन स्वघोषित बुद्धिजीवियों को जो तीन दिन से लगातार अफगानिस्तान और तालिबान के खिलाफ जहर उगलते दिखाई दे रहे है. जहाज में अमरीकी भक्तों को अफगानी बताना, किसी महिला की बात को राष्ट्र की बात बताना, दो चाल लौंडो ने तालिबान के खिलाफ बयान दिया उसीको सारे अफगानियों का बयान कहकर प्रचार करना वगैरे वगैरे. ये मीडिया और स्वघोषित बुद्धिजीवी और कोई नहीं वही है जो बलात्कारियों के समर्थन में निकली रैलियों के वक्त खामोश थे. दिल्ली में 9 साल की बच्ची के साथ बलात्कार और ह्त्या पर खामोश थे. अचानक लॉकडाउन में लाखो विस्थापित मजदूरों पर खामोश थे, ट्रेन में काटकर 16 मजदूरों की मौत पर खामोश थे. आज जैसे ही मुस्लिमों का मुद्दा मिला साँस तक नहीं ले रहे जहर फैलाते जा रहे है.

हमें अपने देश की समस्याओं और उसके निराकरण के बारे में सोचना और लिखना चाहिए. यही हमारा कर्त्तव्य है. तालिबान अफगानिस्तान, पकिस्तान जाए ***** में.

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