खूंखार मीडिया का एक और शिकार : तानों से तंग आकर ज़माती दिलशाद ने की खुदखुशी,
डायरी में लिखा “मैं किसीका दुश्मन नहीं हूँ”
डायरी में लिखा “मैं किसीका दुश्मन नहीं हूँ”
देश में मुसलामानों के खिला नरत का ज़हर घोलने वाली रुबिका लियाकत का एक मुजरा वाला सर मजाकिया एडिटेड विडियो किसीने वायरल कर दिया जिसके बाद रुबिका लियाकत का गुस्सा सातवे आसमान पर चला गया. और फिर सातवे आसमान से पुलिस थाणे चला गया. उसी रुबिका लियाकत और कई पत्रकारों द्वारा देश में नफ़रत झूठ का ज़हर घोलकर करोडो मुसलमानों की जान को दांव पर लगा दिया गया है. देशभर में मुसलमानों के पिटाई के विडियो वायरल हो रहे है, कई आत्महत्या कर रहे है. क्या यह अपराध नहीं है ? हम भी मानते है विडियो को एडिट कर किसीको अपमानित करने के लिए उसे वायरल करना कानूनन जुर्म है, जिसने भी किया वह अपराधी है. और उससे बड़े अपराधी यह मीडिया वाले है जिन्होंने करोडो मुसलमानों को देशभर में अपमानित किया और उनकी जिंदगी से खिलवाड़ किया.
दिल दहला देने वाली एक खबर सामने आ रही है, “मैं किसी का भी दुश्मन नहीं हूँ”. खुदकुशी करने से पहले ये वाक्य मोहम्मद दिलशान ने अपनी पॉकेट डायरी में लिखकर छोड़ दिया उन लोगों के लिए जो उसे अपना दुश्मन मानकर उसकी जान के पीछे पड़े थे. बता दें कि 37 वर्षीय मोहम्मद दिलशाद ने 5 अप्रैल को पहले अपनी कलाई काटी, फिर फांसी लगाकर अपनी जान दे दी। हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले के बानगढ़ गाँव की घटना है। दिलशाद की मां उषा के मुताबिक – बांगड़ के ग्रामीणों ने दिलशाद पर शक करना शुरू कर दिया था। उन्होंने सोचा कि वह COVID-19 को संपर्क में रहा है और गांव में दूसरों को संक्रमित करेगा।
गांव वालों का ऐसा कहना था कि उन्होंने दिलशाद को दो अन्य मुसलमानों जोकि दिल्ली के निजामुद्दीन में तब्लीगी जमात से थे – को मॉर्च के आखिर में गांव में ही स्कूटर पर लिफ्ट देते देखा था। फिर गांव वालों ने पुलिस को उस पर बार-बार फोन करके बताया कि उसकी हरकतें संदिग्ध हैं। दिलशाद, हालांकि लगातार गांववालों के ताने से परेशान था, उसने ग्रामीणों की इच्छा के अनुसार खुद को अस्पताल में भर्ती कराया। तीन दिनों के बाद कोविड-19 टेस्ट नेगेटिव आईं, बावजूद इसके दिलशाद गांव वालों की हरकतों से इतना परेशान हो गया था कि उसने अगले दिन खुदखुशी करके अपना जीवन समाप्त कर लिया।
मुहम्मद दिलशाद की सात बहनों, और मां के बीच में अकेला कमाने वाला शख्स था. मरहूम दिलशाद की मां उषा कहती हैं- “वह क्वारंटाइन से लौटने के बाद लगातार रोता रहा। मैंने उसे कभी रोते नहीं देखा था। वह कहता रहा कि उसके खिलाफ एक साजिश है और उसे झूठा फंसाया गया है। वह पूरे दिन दूसरे कमरे में पड़ा रहा। मैं उसके पास गई और उससे पूछा कि क्या वह ठीक है, लेकिन उसने मुझे कुछ नहीं बताया।” चेहरे से शाहिद कपूर दिखने वाला ये दिलशाद है।
खुदकुशी से पहले सिर्फ इतना लिखा ” मैं किसी का दुश्मन नहीं हूँ
तब्लीग़ी जमात से जुड़े होने की वजह से गांव वालों ने ताने देने शुरू कर दिए। रिपोर्ट निगेटिव आई। ये खुदकुशी नहीं हत्या है। हत्यारे गांव वाले नहीं वो तो माध्यम बने,असल हत्यारा तो सूट बूट पहने वेल क्वालिफिकेशन वाले वो है जो टीवी पर आते हैं। बाकी हमारे आस पास भी हैं।
इन हत्यारों से भी डिस्टेंसिंग बना कर रखना है।
Sushil Manav