क्या आप को याद है ! जमलो मड़कम ? या आप हर खबर की तरह भूल गए ?

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और अपने घर से 11 किलोमीटर पहले ही जमालो मड़कम के दम तोड़ दिया
DO YOU REMEMBER क्या आप को याद है !
OR HAVE YOU FORGOTTEN LIKE EVERY NEWS या आप हर खबर की तरह भूल गए !
नाम – जमलो मड़कम
उम्र – 12 वर्ष
नस्ल – श्रेष्ठ आदिवासी समुदाय
काम – उत्पादन करना



तेलंगाना के एक गांव में मड़कम परिवार मिर्ची तोड़ने का काम करते थे, 12 वर्ष की जमलो मड़कम भी खेतों में काम करती थी. परिवार की आर्थिक स्थिति का अंदाज़ा आप लगा सकते हैं. 24 मार्च को प्रथम लॉकडाउन लगा जो 14 अप्रैल तक था, लेकिन 14 अप्रेल को लॉकडाउन बड़ा दिया गया.
काम था नही पैसे खत्म हो गए, मड़कम परिवार भूख से लड़ रहा था. अपने गांव छत्तीसगढ़ के बीजपुर पैदल चल पड़े.. तीन दिनों में 100 किलोमीटर पैदल चले, 20 अप्रेल को अपने घर से 11 किलोमीटर पहले ही जमलो मड़कम के दम तोड़ दिया.



Could not Become Flying Fairy दोगले समाज की उड़ान परी नही बन पाई. ज़िंदा होती तो 100 किलोमीटर चलने पर महान राष्ट्र के लोग उसे उड़ान परी बना देते जैसे आज ज्योति पासवान को CYCLE GIRL बना दिया गया है !
ज्योति पासवान बीच रास्ते में ही भूख प्यास से जमलो मड़कम की तरह मर जाती तो उसे भी महान राष्ट्र भुला देता और लोग सरकारों नेताओं को दोषी नही ठहराते !



जमलो मड़कम का पैदल चलना और ज्योति पासवान का हज़ारों किलोमीटर साइकिल चलाना राष्ट्र के लिए गर्व कैसे हो सकता है. यह बेहद अमानवीय यात्रा थी. नरेंद्र मोदी सरकार और राज्यों की सरकारें श्रमिकों भोजन इलाज और परिवहन देने में विफल रही.
इन महान नेताओं अहंकारी अफसरों की विफलता का परिणाम है जमलो मड़कम और ज्योति पासवान को जान जोखिम में डालकर मजबूरन ऐसी अमानवीय यात्रा पर निकलना पड़ा. जमलो मड़कम मर गई, नसीब से ज्योति पासवान जिंदा बच गई !



अगर पैदल चलना या 1300 किलोमीटर साइकिल चलाना राष्ट्र के लिए गर्व की बात है तो चिराग पासवान दिल्ली से बिहार साइकिल यात्रा करे, हम इसको गमछा देकर सम्मानित करेंगे !
– Kranti Kumar

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