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किसी युद्ध के भगौड़े विधवाओं का पुत्र नहीं । मैं आदिवासी हूं
मैं किसी ऋषि का अवैध संतान नहीं हूँ,
ना ही युद्ध के भगौड़े विधवाओं का पुत्र,
बल्कि मे पृथ्वी का पहला इंसान,
सबका पूर्वज हूँ,
मैं आदिवासी हूँ…..
मैं गवाँर नहीं हूँ ना ही मैं बुद्धिहीन
प्रकृति की भाषा समझने वाला मैं एकमात्र हूँ,
मैं आदिवासी हूँ……
ना मैं ब्राह्मण, ना मैं क्षत्रिय,ना मैं वैश्य,
और ना मैं शूद्र हूँ
मैं एक मात्रा ही चारों वर्णों से रहित हूँ,
मैं आदिवासी हूँ…..
ना मैं जनता पाप-पुण्य, ना कोई कर्मकांड
ना मैं जाता स्वर्ग ना मैं जाता नर्क
मैं तो प्रकृति का पुत्र हूँ, मैं पुरखा बन जाता हूँ क्यूंकि,
मैं आदिवासी हूँ….