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ऐ काश ! सफुरा भी गर्भवती हथिनी होती ।। प्रताड़ित होने के लिए अल्पसंख्यक होना काफी है ।।
सफुरा जरगर की जमानत तीसरी बार खारिज कर दी गई है । वो 5 माह की गर्भवती है । उन पर रोड ब्लॉक षडयंत्र करने का आरोप है । गोर से देखे तो अब भारत में मुसलमानों पर इस तरह के अमानवीय कृत्य नॉर्मलाइज कर दिए गए है । भाजपा वहीं कर रही है जिसकी उसने सालो से तैयारी की लेकिन, समूचे विपक्ष ने भी अब इस पर मोन रहना शुरू कर दिया है । क्युकी वो भी जन चुकी है कि उसके समर्थक मुर्दा विचार के है ।
गर्भवती हथिनी की हत्या की घोर निन्दा लेकिन जो माँ रेलवे स्टेशन पे व्यवस्थागत हत्या का शिकार हुई उसे इंसाफ कौन देगा ?
आप जिस भी विपक्षी पार्टी को सपोर्ट करते है, कांग्रेस, बसपा, सपा, आप वगेरह कों मुखर हुए एक गर्भवती युवती के लिए ? ध्यान आया आपकी समर्थित किसी पार्टी ने इसका मजबूती से विरोध किया हो ? नहीं किया ।क्युकी एक बड़े तंत्र ने, एक बड़ी भीड़ ने डिसाइड कर लिया की अब यहां प्रताड़ित होने के लिए अल्पसंख्यक होना काफी है । ओर आप मुर्दा विपक्ष के मुर्दा समर्थक बन के रह गए है । भाजपा ओर उसके समर्थकों में सनक सवार है, एक समुदाय को रौंद देने की लेकिन विपक्ष ओर मुर्दा समर्थक अब सिर्फ चुनावों के नारो तक सीमित होते जा रहे है ।
जरूरी नहीं, किसी का दर्द बातों-मुलाकातों से ही समझा जाए।
बेजुबांनो के पास भी एक जुबां होती है, अगर समझा जाए ।