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साथियों आज हम 4 हिस्सो में राइस पुलर को बारीकी से समझेंगे । राइस पुलर कहाँ मिलता है ? कैसे होता है । कहाँ बेचा जा सकता है ? किस काम मे आता है ? और कैसे बनाया जाता है । आज इन सभी सवालों के जवाब आपके साथ शेयर करने जा रहे है । अगले वीडियो में बताएंगे राइस पुलर कैसे बनता है । वैसे बहुत से चैनल वाले सब कुछ बताते है । लेकिन कैसे बनता है वह अगले वीडियो का वादा करते है लेकिन आजतक वह अगले वीडियो किसीने नही बनाया । अब आपका इंतेजार खत्म हुआ । चलिए शुरू करते है ।
राइस पुलर कहाँ पाया जाता है?
चावल खींचने वाले Rice Puller किसी भी एक एंटीक मेटल की चीज होती है । जिसमें चावल के दानों को खींचने की जादुई ताकत होती है। राइस पुलर तांबे की मिक्स मेटल या इरिडियम एलिमेंट से बने होते हैं। इस तरह की चीजों में एक कुदरती इलेक्ट्रिक एनर्जी या मैग्नेटिक फील्ड होता है जो उन्हें बहुत ज्यादा कीमती और रेर बनाता है।
चावल की ड्राइंग खासियत आमतौर पर तांबे और इरिडियम से बनी चीजो में पाई जाती हैं, जैसे कि सिक्के, बर्तन, गिलास और गहने। ये मेटल्स बहुत नायाब होते हैं । इनकी यही खासियत इनको कीमती बनाती है । यह बताया गया है कि चावल खींचने वाले Rice Puller ज्यादातर ग्रामीण इलाकों, दूरदराज के इलाकों में पाए जाते हैं, जो ज्यादातर जमीन दफन होते हैं।
चांवल खिंचने वाला राइस पुलर आइटम कहां बेचा जाता है ?
Rice Puller का कोई खुला बाजार नहीं है । और बताया जाता है कि, इसे एक अथॉराइज्ड इंस्ट्रक्टरके जरिये टेस्ट किया जाता है, तभी इसकी कीमत का अंदाजा लगाया जा सकता है, जो इन 4 शहरों में से सिर्फ नई दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर और सिकंदराबाद में सिस्टमेटिक किया जा सकता है ।
और इसमें रहना और बोर्डिंग अप डाउन का खर्च आता है। और इसका खर्च उसी को देना होता है जो इन्हें बुलाता है । खरीदार कहां मिलेंगे जानना है तो कमेंट कीजिये उनकी भी जानकारी देंगे ।
मैं हाल ही में महाराष्ट्र के एक अमीर आदमी से मिला जो अपने Rice Puller को बेचने में सक्षम था और मैंने उसके साथ अपने निष्कर्षों और Rice Puller के तत्व और सामग्री की समझ को सत्यापित किया जो इसे इतना मूल्यवान बनाता है।
Rice Puller असली है। सौदा वास्तविक है, लेकिन वास्तविक Rice Puller बहुत दुर्लभ है। यदि आपके पास वास्तव में कोई असली है, तो मुझे बताएं। अपनी संपर्क जानकारी पोस्ट करें। यदि आपकी शर्तें आसान हैं तो सौदा आसान है, अन्यथा शर्तें बिगड़ जाएँगी और सौदा असंभव हो जाएगा।
जो लोग हकीकत में नहीं जानते हैं वह यह है कि राइस पुलर का इरिडियम से कोई लेना-देना नहीं है। ज्यादातर कीमत राइस पुलर में मौजूद इरिडियम की वजह से नहीं है।
राइस पुलर हकीकत में सबसे पोटेंशियल एलिमेंट में से एक है, और यह एलिमेंट नायाब एलिमेंट में से एक है। एक साल से ज्यादा वक्त तक सोच और लगातार रिसर्च करने के बाद, मैं ऐसे कई लोगों के कांटेक्ट में आया हूं, जिन्होंने अपने बाल और दाढ़ी सफेद कर ली है, लेकिन अभी भी Rice Puller के बारे में गलत फहमी का शिकार हैं।
मैं हाल ही में महाराष्ट्र के एक अमीर आदमी से मिला जो अपने Rice Puller को बेचने में काबिल था और मैंने उसके साथ अपने नतीजों और Rice Puller के एलिमेंट और केमिकल की समझ को वेरिफाई किया जो इसे इतना कीमती बनाता है।
उनके पास Rice Puller असली है। सौदा हकीकत है, लेकिन हकीकी Rice Puller बहुत नायाब है। अगर आपके पास रियल में कोई असली राइस पुलर है, तो मुझे कमेंट में बताएं।
मेटल राइस पुलर का क्या इस्तेमाल होता हैं?
कई लोगों का यह भी मानना है कि, कॉपर इरिडियम मिक्स मेटल का इस्तेमाल सिर्फ पैसा कमाने के लिए किया जाता है । और यह बेवकूफों वाला काम है । राइस पुलर्स को चावल, अनाज और दीगर गैर-धातु चीजों को उन पर खींचने और उन्हें चूर्णित करने, या दूसरी जादुई हालात जैसे बस के इग्निशन सिस्टम को बंद करने से लेकर कार्बन पेपर की कई परतों में लपेटे जाने तक सब कुछ करने की पेशकश की जाती है । लेकिन यह कुछ ज्यादा नही हो जाता है ?
यह भी खबर है कि, भारत सरकार ने प्रचार की अपनी ऊंचाई के दौरान राइस पुलर के 80 से ज्यादा विक्रेताओं पर मुकदमा चलाया।
राइस पुलर बनाने के लिए कौन कौन से केमिकल का इस्तेमाल होता है ?
कुछ लोगों को यह कहते हुए भी सुना है कि, राइस पुलर बनाने की सबसे अच्छी जगह आपके सपनों में है।
राइस पुलर रियल में मौजूद नहीं हैं और भारत के कुछ इलाकों में यह खास तौर से एक फ्रॉड है।
यह बात भी काफी हद तक सही है, क्योंकि राइस पुलर के नाम से लाखों रुपयों की ठगी हो चुकी है, महाराष्ट्र के, नंदुरा, मलकपुर, भुसावल, पुणे, मुम्बई, तेलंगना में हैदराबद, विशाखापत्तनम और बेंगलुरु, तमिलनाडु जैसे कई बड़े और छोटे शहरों में ठगों की भरमार है । हम भी एक बार इनके जाल में फंस कर इसका अनुभव ले चुके है ।
वैसे तांबे और इरिडियम के मिक्स मेटल्स में कोई खास गुण नहीं होते हैं । और किसी भी मकसद के लिए मौजूद नहीं होते हैं। कुछ लोगों ने भारत में 16वीं सदी की शुरुआत में राइस पुलर ततांबे इरीडियम के सिक्कों की जानकारी दी है। 19वीं सदी की शुरुआत तक इरिडियम की खोज या रिपोर्ट नहीं की गई थी !
इसका मतलब के इरीडियम के इस्तेमाल से राइस पुलर बनाया जाता है यह एक सबसे बड़ा सफेद झूठ है । इरीडियम ओरिजनल नही मिलता, इसमें अपना पैसा वेस्ट ना करें । हम आपको बताएंगे राइस पुलर कैसे बनाया जाता है । ऐसी ही जानकारी और अवेयरनेस के लिए हमसे जुड़े रहे, आप देख ,,,,,
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