शेहला राशिद को इस्लाम के नाम पर टार्गेट करने वाले वामपंथी साथी एक बार कम्युनिस्ट इंटरनेशनल के सदस्य एवं भारत में कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक ‘एम. एन. रॉय’ को सही से पढ़ लें। वो एम. एन. रॉय जो इस्लाम को एक मजहब ही नहीं बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा क्रांतिकारी आंदोलन मानते थे। वो एम. एन. रॉय जो मुहम्मद साहब को दुनिया का सबसे बड़ा इंक़लाबी शख़्सियत मानते थे और ये भी मानते थे कि विश्व के इतिहास में सबसे बड़ा इंक़लाब मुहम्मद साहब ने बरपा किया था।
वो एम. एन. रॉय जिन्होंने कहा था कि इस्लाम एक धर्म ही नहीं है बल्कि एक सामाजिक योजना है जिसके कारण करोड़ों-अरबों लोगों ने इस धर्म को स्वीकार किया, इस्लाम ने जीवन की ऐसी व्यवस्था दी जो करोड़ों लोगों की ख़ुशी की वजह बना।
कामरेड साथी, आप लोगों के पास ज्ञान एवं तर्क की कमी है। इसीलिए आजतक बोल्शेविक क्रांति से आगे कुछ पढ़ नहीं पाए, पर आपको इस इतिहास का इल्म नहीं कि वो इस्लाम ही था जिसके ज़रिए अरब के जनजातीय लोगों ने दुनिया की सबसे बड़ी रोमन और पर्शियन सल्तनत को रौंद कर सामाजिक, आर्थिक एवं लैंगिक न्याय की बुनियाद पर एक नई राजनीतिक एवं सामाजिक व्यवस्था की बुनियाद डाली थी एवं देखते ही देखते एक सदी के भीतर पूरी दुनिया में अपना वर्चस्व हासिल कर लिया।
ये इस्लाम की देन थी कि अरब के जनजातीय कबीलों को उन दिनों के मानकों के अनुसार सबसे शक्तिशाली एवं आधुनिक साम्राज्य में बदलने की बड़ी भूमिका निभाई। ये मैं नहीं बल्कि रॉय साहब ने कहा था।
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