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ईरान के बाद गल्फ कन्ट्रीज के संगठन ने दिल्ली हमलों की न केवल निंदा की बल्कि इसे भारत का अंदरूनी मुद्दा मानने से ही इनकार कर दिया। संयुक्त राष्ट्र ने सुप्रीम कोर्ट में पक्ष बनने हेतु याचिका दायर कर दी। यह सब भारत की उभरती छवि को क्षति पहुंचाने वाले घटनाक्रम है।
सरकार इसकी भरपाई करने में लगी है और छद्म राष्ट्र भटक(भक्त), देशभक्त नहीं, इसकी विचित्र तर्कों द्वारा भरपाई कर रहे है। जिस में यह तर्क भी शामिल है कि नुकसान दोनों धर्मों के लोगों का हुआ। क्षति दोनों को हुई। पहल उसने की–आग उसने लगाई। क्या ये तेल-उत्पादक मुस्लिम राष्ट्र भारत पर हमला करेंगे–है हिम्मत? क्या कर लेंगे–/ऊलजलूल—!
ये सब डैमेज कंट्रोल के तहत किया जा रहा है, लेकिन जो धागा टूट गया, वो टूट गया। भलेही कितना ही डैमेज कंट्रोल कर लो, सदियों तक वह गांठ बनी रहेगी क्योंकि उसका प्रसार अंतरराष्ट्रीय हो गया, भलेई मुद्दा आंतरिक हो। सरकार (राष्ट्र भटकों सहित) तको और बको के मूड में है
-ताराराम गौतम