इस भयावह काल में भी इंसानियत देखने को मिल रही है। मसलन महामारी से जंग में धर्म संप्रदाय और जातियों के भेद पीछे छूट गए हैं। सहारनपुर के पुरानी मंडी में एक ब्राह्मण परिवार की महिला की मौत के बाद पड़ोसी मुस्लिम भाइयों ने उसके शव को कंधा दिया।
[सजीव गुप्ता] सहारनपुर। सात संदूकों में भरकर दफन कर दो नफरतें, आज इंसां को मोहब्बत की जरूरत है बहुत.। प्रख्यात शायर बशीर बद्र की यह ख्वाहिश कोरोना आपदा काल में परवान चढ़ने लगी है। कोरोना इंसानों का दुश्मन बना हुआ, लेकिन इस भयावह काल में भी इंसानियत देखने को मिल रही है। मसलन, महामारी से जंग में धर्म, संप्रदाय और जातियों के भेद पीछे छूट गए हैं। सहारनपुर के पुरानी मंडी में एक ब्राह्मण परिवार की महिला की मौत के बाद पड़ोसी मुस्लिम भाइयों ने उसके शव को कंधा दिय। अंतिम संस्कार के लिए सभी व्यवस्थाएं भी कराई।
महानगर के वार्ड-43 पुरानी मंडी सराय फैज अली निवासी एक ब्राह्मण परिवार की 48 वर्षीया महिला की एक सप्ताह पूर्व कोरोना रिपोर्ट पाजिटिव आई थी। क्षेत्र के पार्षद मंसूर बदर और उनके बड़े भाई मसूद बदर का परिवार इस हिंदू परिवार के काफी नजदीकी है। परिवार की महिला को मेरठ के एक प्राइवेट हास्पिटल में भर्ती कराया गया। घर की देखभाल बदर परिवार ने की। मंगलवार को महिला की कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव भी आ गई, लेकिन ब्लड प्रेशर नीचे आने से उनकी मौत हो गई।
उधर मंगलवार को ही पार्षद मंसूर बदर के छोटे भाई मसरूर बदर के ससुर का देवबंद में स्वर्गवास हो गया था, लेकिन फिर भी मंसूर बदर और मसूद बदर ने सावधानी के लिए पीपीई किट पहनकर शारदा नगर के शमशान घाट में बुधवार को धार्मिक रीति रिवाजों से महिला का अंतिम संस्कार कराने में पूरा सहयोग किया।
मृतक महिला के परिवार में पति, एक बेटा और एक बेटी है। मंसूर बदर ने बताया कि कई मुस्लिम भाई अंतिम यात्र में शामिल रहे। कई मुस्लिम भाई रोजे से भी थे, लेकिन उन्होंने इस दुख की घड़ी में ब्राह्मण परिवार के कंधे से कंधा मिलाया।