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पीएमसी और यस बैंक के बाद लक्ष्मी विलास बैंक का क्या होगा?
अगर एक के बाद एक बैंक डूबेंगे तो SBI कितने बैंकों को उबारेगा? पीएमसी डूब चुका है । YES बैंक को SBI के जरिये बचाने की कवायद चल रही है । उधर Lakshami Vilas Bank के बारे में पिछले साल से ही बुरी खबरे हैं. इस 90 साल पुराने बैंक की भी हालत खराब हो चुकी है ।
PMC BANK डूबने के साथ ही जब RBI ने उसपर कुछ प्रतिबंध लगाए थे, तभी यानी सितंबर 2019 में Lakshami Vilas Bank पर भी पाबंदियां लगाई गई थीं कि यह बैंक अब न नये कर्ज लेगा, न ही कर्ज देगा । Lakshami Vilas Bank और Indiabulls Housing Finance के मर्जर की चर्चा चली थी, लेकिन RBI ने इस पर रोक लगा दी थी ।
अक्टूबर, 2019 में RESERVE BANK OF INDIA ने नियमों की अनदेखी करने के आरोप में Lakshami Vilas Bank एक करोड़ रुपये का जुर्माना और और Syndicate Bank पर 75 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था । इन दोनों निजी क्षेत्र के बैंकों पर असेट क्लासिफिकेशन रूल्स की अनदेखी का आरोप था ।
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने खबर दी थी कि Lakshami Vilas Bank पर भी कथित तौर पर फर्जीवाड़े का आरोप है ।Religare Finvest Limited (RFL) ने आरोप लगाया था कि Lakshami Vilas Bank ने RFL के 790 करोड़ रुपये की एफडी में हेराफेरी की है । इसकी जांच भी शुरू हुई थी, लेकिन जांच का क्या हुआ, यह खबर नहीं है ।
नवभारत टाइम्स ने लिखा है, Lakshami Vilas Bank का Capital adequacy ratio (CAR) मिनिमम रिक्वायरमेंट से काफी नीचे आ गया है । उसने विदेशी निवेशकों से 25-30 करोड़ डॉलर (1,800-2,200 करोड़ रुपये) जुटाने की योजना के साथ RBI से संपर्क किया है । योजना के हिसाब से यह बैंक इतनी रकम जुटाने के लिए अपनी 49-60% हिस्सेदारी बेच सकता है.’ CAR बैंक की पूंजी को मापने का एक तरीका होता है जो बैंक की जोखिम वाली पूंजी का फीसद बताता है ।
अखबार ने लिखा है, ‘एक्सपर्ट्स के मुताबिक, यस बैंक में हुए क्राइसिस ने प्राइवेट सेक्टर बैंक की वित्तीय स्थिति को लेकर चिंता बढ़ा दी है । Lakshami Vilas Bank का Capital adequacy ratio सिर्फ 3.46% है । जबकि मिनिमम रिक्वायरमेंट 9% की है । आजतक लिख रहा है । Lakshami Vilas Bank में हिस्सेदारी खरीदने के लिए कई निवेशक भी रेस में हैं । लेकिन अभी RBI इसकी अनुमति नहीं दे रहा ह ।
RBI ने पिछले साल Lakshami Vilas Bank को प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (PCA) फ्रेमवर्क में डाल दिया था यानी यह बैंक न नये कर्ज ले सकता है । न किसी को कर्ज दे सकता है, न ही नई ब्रांच खोल सकता है । पीसीए फ्रेमवर्क में किसी बैंक को तब डाला जाता है जब लगता है । कि बैंक की आय नहीं हो रही है । या फिर एनपीए बढ़ रहा है ।
देश भर में इस बैंक की 569 शाखाएं हैं । इसकी एसेट साइट 31,500 करोड़ रुपये की है । अलग अलग खबरों से पता चलता है कि सिंगापुर और अमेरिका के कुछ बैंक और फर्में इसमें पैसा लगाने को तैयार हैं.सबसे बड़ा सवाल यह है कि पिछले सालों में अर्थव्यवस्था का यह कैसा संकट आया है जहां बैंक ही डूब रहे हैं?
-कृष्ण कान्त
-कृष्ण कान्त