प्राचीन काल से ही हमारे देश में महिलाओं का बहुत आदर व् सम्मान किया जाता रहा है. कई जगह महिलाओं की देवी के रूप में पूजा होती है. एक तो ऐसा मंदिर है जहां मुस्लिम महिला की पूजा होती है, और वहां हर रोज हजारो महिलाएं पूजा करने आती है. लेकिन इस दौर में हमारी महिलाएं खुदको काफी असुरक्षित महसूस कर रही है. क्यूंकि आये दिन महिलाओं पर जनघन्य अत्याचार की वारदातों में काफी इजाफा हुआ है. इन वारदातों को सुनकर अच्छो अच्छो के रोंगटे खड़े हो जाते है. यह बहुत निंदनीय और शर्मनाक बात है.
अब रोंगटे क्यों न खड़े हो और क्यों न महिलाओं में चिंता बढे इन दिनों 13 वर्ष की नाबालिग, 30 वर्षीय महिला या फिर साठ वर्षीय वृद्धा तो क्या 3 वर्ष की मासूम बच्ची भी सुरक्षित नहीं है. रास्ते पर, गली-मोहल्ले नुक्कड़ पर, स्कूल, कॉलेज, ऑफिस यहांतक की अपने घरो में भी महिलाएं सुरक्षित नहीं है. इस असुरक्षितता की वारदातें आपको हर रोज मीडिया के जरिये मालूम पड़ती ही होगी. लेकिन इसपर आवाज उठाने वालों की संख्या नाममात्र है.
दहेज़ के लिए ज़िंदा जलाना, एसिड अटैक, सामूहिक बलात्कार, गला रेतना, अमानवीय जुल्म करना जैसी दरिंदगी की इन्तेहाँ हो चुकी है. ऐसे दरिंदो के लिए कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान हो, जिससे इनकी रूह कांप जाप जाए और कोई ऐसी शर्मनाक हरकत करने की हिम्मत तो क्या ख़याल भी ना करे. सरकार ने शी टीम्स नाम की एक टीम बनाई है लेकिन यह 100 प्रतिशत कार्यरत नहीं दिखाई देती. अगर यह कार्यरत है तो फिर यहाँ सवाल नहीं उठ सकते थे और ना ही महिला अत्याचार में बढ़ोतरी होती. सरकार और पुलिस प्रशासन द्वारा इस गंभीर मुद्दे को सज्ञान में लेना चाहिए और इस समस्या के समाधान के लिए कोई ठोस कदम उठाने की जरुरत है. जिससे महिला निडर होकर अपनी जिंदगी जिए और देश की उन्नति में अपना योगदान दे सके.
-आजरा नाज
जय भारत
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