SD24 News Network
भारत में सैकड़ों मुसलामानों क मोब लिंचिंग की गयी है यानी सुनियोजित भीड़ द्वारा हात्याएं। क्या आपको लगता है मोब लिंचिंग सिर्फ उसल्मानो की ही होती है ? इ नहीं गैरमुस्लिमों की भी एक लम्बी कतार है । जिन्हें भीड़ द्वारा मार दिया गया । ज़िंदा थे तब भी उन्हें अपमानित किया जाता था, मार दिया और भी उन्हें अपमानित किया जाता रहा है । लेकिन इन सब में एक बात स्पष्ट है, भीड़ में आजतक एक भी मुसलमान नहीं पाया गया और ना ही अपमानित करने में मुसलमान का नाम आया । तो क्या आपको लगता है यह सभी हत्याएं करने वाले लोग हन्दू थे ? नहीं हिन्दू होते तो कलबुर्गी, गौरी लंकेश, गोविन्द पानसरे, नरेन्द्र दाभोलकर ऐसे सैकड़ों की हात्या हुई है और कल पालघर में हिन्दू संतो की हात्याएं हुई है । क्या कोई हन्दू अपने ही संतो की ह्त्या कर सकता है ? इनकी हात्या करने वाले हिन्दू भी नहीं है । हत्यारी भीड़ एक विशेष विचारधारा को फॉलो करती है । इनका धर्म मज़हब, जाती एक ही है ‘किलर’ वह ना हिन्दू है ना मुसलमान वह जोम्बी है ।
हिन्दू मुस्लिम का हवा तो मीडिया ने खडा किया हुआ है । जैसे बांद्रा स्टेशन को मस्जिद बताना 108 गैरमुस्लिमों को ज़माती बताना, हर बात को हिन्दू मुस्लिम कराकर देश की फिजाओं में नफरत का ज़हर घोलना । यह सब मीडिया का किया धरा है । लॉकडाउन के बिच पुलिस प्रशासन ने इसके कई खुलासे किये और बड़े अधिकारियों ने सांप्रदायिक मीडिया को फटकार भी लगायी है । आप सभी से निवेदन है अफवाहों पर विशवास ना करे हत्यारों को अपराधी की नज़र से देखें किसी जाती या धर से ना जोड़े । – सम्पादक
धर्मराज कुमार लिखते है
– गौरी लंकेश की हत्या पर उसे कुतिया किसने बोला और उसका बचाव किसने किया? तब वो सुखद था!
– गोविंद पंसारे और कलबुर्गी की हत्या किसने की और उसके अपराधियों का बचाव कौन कर रहा है? तब वो सुखद था!
– अख़लाक़ को घर से निकालकर उसके परिवार के सामने घसीट कर किसने मार? तब वो सुखद था!
– पहलू खान को रास्ते में, जुनैद को रेलवे स्टेशन पर और ऐसे न जाने कितने निर्दोषों की हत्या किसने की? तब वो सुखद था!
– तबरेज़ अंसारी को किसने मारा? उसके हत्यारों के साथ सत्ता पक्ष के केंद्रीय मंत्री फोटो खींचा रहे थे। तब वो सुखद था!
– इंस्पेक्टर सुबोध सिंह, वो तो राजपूत मुख्यमंत्री वाले प्रदेश में खुद राजपूत और ऊपर से इंस्पेक्टर, को किसने मारा? पूरे भारत के अख़बार में उसकी गाड़ी से झूलती लाश क्या कोई स्विट्ज़रलैंड के मनमोहक दृश्य पेश कर रही थी? तब वो सुखद था!
– अफराजुल को काम के बहाने बुलाकर कुदाल से मार-मार कर गोंद देना फिर पेट्रोल छिड़कर ज़िन्दा जला देना उसके बाद उस अपराधी के बचाव में राजस्थान उच्च न्यायालय के छत पर विचारधारा विशेष के लोगों द्वारा हज़ारों की संख्या में पहुंचकर झंडा लगा देना, किसने किया? तब वो सुखद था!
– स्वामी अग्निवेश को दौड़ा-दौड़ा कर मारना। किसने किया? तब वो सुखद था!
– ऐसे सैकड़ों मॉब लिंचिंग की घटनायें हैं जिनमें न्याय दिया जाना है, नहीं दिया गया अभी तक। तब वो सुखद था!
– बस पालघर में साधुओं की हत्या अपराध है, बाकि अपराध श्रवण कुमार की तरह माता-पिता की अगाध सेवा थी।
पालघर में उन साधुओं की हत्या से हम पीड़ित हैं, हम! तुम नहीं।
जाओ सुनो चीख दोनों साधुओं के मारे जाने की या अफराजुल को जिंदा जलाते वक़्त निकले उसकी चीख को। अगर चैन से नींद आ जाये तो कहना।
हम तब भी बहुत आहत थे, और आज भी आहत हैं! मुझे तुम्हारी हर बात एक नयी मॉब लिंचिंग लगती है।
-Dharmaraj Kumar
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