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सहारनपुर में आज सुबह एक ऐसी घटना हुयी जो हर किसी को सोचने पर मजबूर कर देगी।
9 अप्रैल सुबह समय क़रीब 9:30 बजे UP100 पी०आर०वी० को सूचना मिली कि एक व्यक्ति के चाक़ू मार दिया गया है और वह अभी ज़िंदा है।सूचना मिलते ही मौक़े के लिए पी०आर०वी० रवाना हुयी।तभी अचानक हे०काँ० भूपेन्द्र सिंह तोमर का व्यक्तिगत फ़ोन बजा,जैसे ही उठाया तो बग़ल में बैठे का० भरत पाँचाल को रोने की दहाड़ें सुनायी दीं,तो एक दम चौंक गए।दरअसल वो भूपेन्द्र तोमर साहब की धर्मपत्नी थी और रोते हुए बताया कि अब आपकी बिटिया नहीं रही जिसकी अभी एक वर्ष पूर्व शादी की थी…
इतना सुनकर भूपेन्द्र जी के मुँह से कोई शब्द नहीं निकला और फ़ोन काट दिया।जब बग़ल में बैठे भरत ने पूछा कि साहब क्या हुआ तो नम आँखों से बोले कि मेरी गुड़िया नहीं रही।इतना सुन भरत ने उनको बोला कि आप यहीं उतर जाओ और सम्बंधित को इत्तिला कर पहले घर जाओ।
लेकिन जवाब मिला कि मेरी बेटी तो चली गयी लेकिन अभी जिसके चाक़ू लगा है उसे देखते हैं क्या स्थिति है,जो होना था वो हो चुका लेकिन इसकी जान ख़तरे में है और वो भी किसी का बेटा है।
नहीं माने और घटनास्थल पर पहुँचे तो देखा कि वह ज़मीन पर पड़ा तड़प रहा था,जिसकी हालत अत्यधिक ख़ून बह जाने से बेहद नाज़ुक थी,उसे उठाया और ambulance का इंतज़ार किए बग़ैर अपनी गाड़ी से हॉस्पिटल ले भागे।जिसे वहाँ प्राथमिक उपचार देने के बाद मेडिग्राम हॉस्पिटल सहारनपुर रेफ़र कर दिया गया।जहाँ से बाद में उसे देहरादून रेफ़र कर दिया।और ख़ुशी की बात ये कि नीचे फ़ोटो में दिख रहे व्यक्ति की हालत में अब काफ़ी काफ़ी सुधार है।
जब उसे पी॰एच॰सी॰ से ambulance में रेफ़र करा दिया तब तक हे०का० भूपेन्द्र तोमर साहब ने अपने कलेजे के टुकड़े को खोने के दुःख की हिलोरों को बाहर नहीं आने दिया।जैसे ही गाँव वालो को पता चला तो वो भी उनके धैर्य की दाद देने लगे।
भूपेन्द्र जी आपके धैर्य और इंसानियत के परिचय को मेरा नमन,वंदन।
आपकी लाड़ली की आत्मशांति की ईश्वर से प्रार्थना
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