SD24 News Network : अगर सुशांत सिंह “राजपूत” नही, पासवान, यादव, खटीक, वेमुला, या ताडवी होता तो मीडिया में सन्नाटा होता
14 जून को ठाकुर साहब सुशांत सिंह राजपूत ने आत्महत्या की. तब से 68 दिनों से ब्राह्मण मिडिया सतत इस मुद्दों को ऐसे दिखा रहा है जैसे यह आम आदमी से जुड़ा हुआ मुद्दा है !
कोई भी न्यूज़ चैनल खोलो. सब पर सुशांत सिंह राजपूत.. रिया चक्रवर्ती.. मुंबई पुलिस.. बिहार पुलिस.. बॉलीवुड में नेपोटिज्म.. इत्यादि इत्यादि !
भारत में हर वर्ष 1,35,000 से अधिक लोग खुदकुशी करते हैं. इनमें परिवार कलह.. बीमारी.. शादी.. अफेयर.. आर्थिक तंगी.. और जातीय भेदभाव प्रमुख कारण होता है !
सुशांत सिंह राजपूत कुलीन वर्ग का लड़का है जो अपने सरनेम के आगे राजपूत लगाकर जाति विशेषाधिकार का लाभ उठाकर फिल्म इंडस्ट्री में ऊंचा मुकाम हासिल करता है. करोड़ो कमाता है, परिवार से अलग रहकर बिना शादी के रिया चक्रवाती के साथ रहकर जिंदगी का लुफ्त उठाता है !
अगर उसे किसी ने आत्महत्या के लिए मजबूर किया है तो वह दो चार व्यक्ति हो सकते हैं. पूरा समाज या सिस्टम नही. नेपोटिज्म अर्थात भाई-भतीजावाद का कारण नजर नही आता. ऐसा होता तो उसे बड़ी फिल्में नही मिलती !
मुझे समझ नही आता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या पर बोलने लीखने वाले, डॉ पायल ताडवी की आत्महत्या पर खामोश क्यों थे ?
क्या सिर्फ इसलिए की डॉ पायल ताडवी आदिवासी समाज से थी और सुशांत सिंह राजपूत द्विज वर्ग का है जिनका मिडिया.. सरकार.. कोर्ट.. शिक्षा.. उद्योग पर कब्ज़ा है ?
डॉ पायल ताडवी को आत्महत्या के लिए मजबूर सिर्फ उन तीन लड़कियों ने नही किया. इसमें सवर्ण समाज का बर्ताव.. ब्राह्मण vaad की जाति व्यवस्था.. दोषी है. डॉ पायल ताडवी की आत्महत्या पुरे समाज को कटघरे में खड़ा करती है !
आत्महत्या के लिए उकसाने की दोषी तीन लड़कियों ने वही किया जो उन्हें ब्राह्मणवाद.. उनका परिवार.. सवर्ण समाज ने सिखाया था की आदिवासी नीच होते हैं उनका आरक्षण का अधिकार भीख है !
सुशांत सिंह राजपूत अपने समाज का पहला या आखरी कलाकार नही है. लेकिन डॉ पायल ताडवी अपने समाज की पहली MD डॉ बनती अगर द्विज सवर्ण समाज की मान्यताओं ने उसकी हत्या नही की होती !
अगर सुशांत सिंह “राजपूत” नही, पासवान यादव खटीक वेमुला या ताडवी सरनेम धारी होता तो उसकी मौत पर सन्नाटा पसरा रहता है !
लेखक क्रांति कुमार के निजी विचार