यदि जुमला नही है तो अपने बयानों का हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में क्यूँ ना दे अमित शाह ?
राज्यसभा में गृहमंत्री अमित शाह जी ने स्पष्ट कर दिया है कि किसी के नाम के सामने D यानि डाउटफुल नहीं लगेगा मतलब एनपीआर के आधार पर किसी को डाउटफुल सिटीजन नहीं बनाया जाएगा और ना ही CAA के माध्यम से किसी की नागरिकता ली जाएगी।
सवाल यह है कि जिस गृहमंत्री ने CAA/NRC/NPR पर पिछले तीन महीने में बार बार बयान बदले हों आज उनकी बात पर यकीन किस आधार पर किया जाए? इसी सदन में कुछ दिनों पहले उन्होंने क्रोनोलॉजी समझाते हुए कहा था कि पहले CAA आएगा फिर NRC और NPR आएगा और उस पर एक इंच भी पीछे न हटने की बात लाखों करोड़ों लोगों से वादा करते हुए कहा था जिस पर उनके समर्थको ने खूब तालियां भी बजायी थीं और बगलें भी।
एक रास्ता यह है कि जो बात गृहमंत्री सदन में बोल रहे हैं उन बातों पर वो सुप्रीमकोर्ट में हलफ नामा लिख कर दें ताकि अगर कल को वो फिर अपने बयान से बदलते हैं तो सुप्रीमकोर्ट में उन्हें चैलेंज किया जा सके, क्योंकि पार्लियामेंट में दिए गए बयान को कोर्ट में चैलेंज नहीं किया जा सकता है जब तक कि वो कोर्ट को लिख कर न दें या सदन में कानून न बनाएं।
दूसरी बात यह कि गृहमंत्री ने राज्यसभा में विपक्ष नेता गुलाम नबी आजाद को इस मुद्दे पर बात करने के लिए चैलेजिंग तरीके से आमंत्रित किया है तो तमाम विपक्षी पार्टियों की तरफ से और साथ में इस मुद्दे पर जितने भी सामाजिक संगठन काम कर रहे हैं उनके प्रतिनिधि को साथ लेकर पूरी तय्यारी से उनसे मिलें। ये अच्छा मौका है कि बात चीत के ज़रिए इस मसले को संवैधानिक तरीके से हल किया जा सके।