लोक सभा चुनाव का परिणाम जो भी आया हो लेकिन एक नई खबर सामने आ रही है। इसके अनुसार चुनाव के दौरान कई सारी ईवीएम में गड़बड़ियां पाई गई है। हालांकि चुनाव आयोग ने अब तक इस मामले पर कुछ भी नहीं बोला।
द क्विंट की रिपोर्ट है कि 373 सीटें ऐसी हैं, जहां वोटर टर्न आउट और मतगणना के आंकड़ों में फर्क नजर आया है. अगर किसी जगह पर दस लोगों ने वोट दिया है तो गिनती में वह 9 या 11 कैसे हो सकता है? क्या यह संभव है? जब चुनाव आयोग से इस बारे में सवाल पूछा गया तो चुनाव आयोग ने वोटिंग के सारे आंकड़े हटा लिए. क्या यह आरोप सही है कि चुनाव आयोग देश के इस चुनावी महाघोटाले में शामिल है?
रिपोर्ट कहती है कि चुनाव आयोग के आंकड़े हैं कि तमिलनाडु की कांचीपुरम सीट पर 12,14,086 वोट पड़े. लेकिन जब सभी EVMs की गिनती हुई तो 12,32,417 वोट निकले. यानी जितने वोट पड़े, गिनती में उससे 18,331 वोट ज्यादा निकले. कैसे? निर्वाचन आयोग के पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं. निर्वाचन आयोग के मुताबिक, तमिलनाडु की ही दूसरी सीट धर्मपुरी पर 11,94,440 वोटरों ने मतदान किया. लेकिन जब गिनती हुई, तो वोटों की संख्या में 17,871 का इजाफा हुआ और कुल गिनती 12,12,311 वोटों की हुई. EVMs ने ये जादू कैसे किया, EC को नहीं मालूम.
निर्वाचन आयोग के ही आंकड़े के मुताबिक, तमिलनाडु की तीसरी संसदीय सीट श्रीपेरुम्बुदुर के EVMs में 13,88,666 वोट पड़े. लेकिन जब गिनती हुई तो वोटों की संख्या 14,512 बढ़ गई और 14,03,178 पर पहुंच गई. इस चमत्कार का भी EC के पास कोई जवाब नहीं. EC के आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश की मथुरा सीट के EVMs में कुल 10,88,206 वोट पड़े, लेकिन 10,98,112 वोटों की गिनती हुई. यानी यहां भी वोटों में 9,906 की बढ़ोत्तरी. कैसे? EC अब भी चुप है.
पहले चार चरण में 373 सीटों के लिए वोट पड़े. वोटों की गिनती के बाद इनमें 220 से ज्यादा सीटों पर मतदान से ज्यादा वोट काउंट दर्ज किये गए. बाकी सीटों पर वोटों की संख्या में कमी पाई गई. क्विंट के लिए यह रिपोर्ट पूनम अग्रवाल ने लिखी है. वे लिखती हैं कि हमने आयोग से इस बारे में सवाल पूछा तो एक अधिकारी ने जवाब दिया कि आपको इसका जवाब मिल जाएगा. लेकिन यह सूचना ही वेबसाइट से हटा ली गई. जब हमने निर्वाचन आयोग से पूछा कि वेबसाइट से आंकड़े क्यों हटाए गए, तो आयोग ने कोई जवाब देना जरूरी नहीं समझा.
क्या विपक्ष के नेता Rahul Gandhi Akhilesh Yadav Jayant Chaudhary आदि, चाहे जीते हों या हारे हों, सब मिलकर इस पर सवाल उठाएंगे? क्या वे संसद का बहिष्कार करेंगे? क्या जनता इस पर कोई ऐतराज करेगी? क्या विपक्ष से सवाल करने और सरकार के गुणगान करने वाला मीडिया इस पर सरकार से सवाल पूछेगा? क्या अब चुनाव के नाम पर लोकतंत्र में जनादेश की डकैती डाली जाएगी?
लेखक : कृष्णकांत, वरिष्ठ पत्रकार(फेसबुक पेज से साभार)
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