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CAA आंदोलन की स्थिति
दिसम्बर के पहले हफ्ते से शुरू हुए आंदोलन देश में इतिहास रच रहे है भाषण देने लोग आ रहे है जा रहे फ़ोटो भी शेयर कर रहे है लेकिन छोटी उम्र की बच्ची से लेकर 90 साल की दादी इस आंदोलन की असली सूत्रधार है 2 डिग्री से बारिश में भीगते हुए ठंडी रात गुज़र देना किसी के बस की बात नही. साथ ही छात्रो और युवा भी पीछे नही है पुलिस से पिटने के बाद,मुक़दमा दर्ज होने के बाद अगले दिन फिर दुगने जोश से मैदान में किसी ने सोचा नही होगा कि ठंडी रातो में 9 बजे रात की काल पुलिस मुख्यालय में दी जाएगी और हज़ारो की तादाद में लोग पहुच जाएंगे
वैसे तो कोर्ट से कोई उम्मीद नही है लेकिन फिर भी बचे हुए 5 हफ्ते इंतेज़ार तो करना ही होगा, CAA की लड़ाई लम्बी है लेकिन अस्तित्व की लड़ाईया लम्बी ही होती है 50 दिन के बाद भी नई ऊर्जा ये बता रही है कि जब तक ये वापस नही होगा कोई घर बैठने वाले नही है. लेकिन असल समस्या है NPR की जो पहला कदम है असम एक छोटा राज्य है 3.25करोड़ की आबादी है जिसमे NRC होने पे 1600 करोड़ और 6 साल लगे. अब अंदाज़ा लगाए की 28 करोड़ वाले यूपी में कितना समय और पैसा लगेगा. इसलिए शार्ट टर्म NRP आया है जिसके डेटा बेसिस पे फॉरेन ट्रिब्यूनल के नोटिस और डी वोटर बनाया जाएगा जो खेल असम में सालो से हो रहा है.
बॉयकॉट NRP का नारा हम लोग लगा रहे है लेकिन हम सबको मालूम है कि पर्सनल बॉयकॉट बहुत मुश्किल है
लेकिन अगर सिर्फ कांग्रेस शासित राज्य मना कर दे और बंगाल और केरल को जोड़ ले तो ये कुल आबादी देश का 40% होती है बाकी भाजपा शासित राज्यो में 10% भी बहिष्कार हो गया है तो 50-50 में इसकी कोई हैसियत नही बचेगी लेकिन कांग्रेस शासित राज्य CAA NRC का विरोध तो कर रहे है लेकिन NPR पे खमोश है बल्कि सहयोग कर रहे है विदिशा मध्यप्रदेश में पैसे इशू हुए महीना हो रहा है कर्मचारियोकी ट्रेनिंग हो रही है.
पंजाब में CAA के विरोध में असेम्बली से बिल पास हुआ लेकिन जिसकी कोई वैल्यू नही है. हम सबको मालूम है विदेशी मामले जिसमे CAA आता है वो केंद्र सरकार के अधीन है और राज्य सरकार इसको रोक नही सकती है. लेकिन NPR एग्जेक्युटिव आर्डर है जिससे कोई भी सरकार इनकार कर सकती है. लेकिन CAA NRC के विरोध का ड्रामा करने वाली सरकारें NRP पे खामोश है और सहयोग कर रही है. इसलिए इन तमाम विपक्षी दलों से जिनकी राज्यो में सरकारें है उनसे बात करने और अगर न माने तो उन राज्यो में आंदोलन तेज़ करने की ज़रूरत है.
वरना धरने चलते रहेंगे और NPR भी हो जाएगा और उन विपक्षी दलों के नेता NRC के विरोध में हमारे धरनों में विरोध करते रहेंगे, इसलिए थोड़ा ध्यान दीजिए की कही मोदी शाह के विरोध के नाम पर NPR का समर्थन करने वाले आपके बीच मे तो नही है.
फरवरी में किसी भी हाल में इन राज्यो से NPR का बहिष्कार करवाना है
पार्टी भक्त दूर रहे है ये इस देश मे हमारी बराबरी की लड़ाई है
अगर हो सके तो शेयर करकेआगे बढ़ा दे
– Nadeem Khan