उसके कपड़े नहीं तुम्हारी सोच सोच छोटी है। इस बक्या के दो अर्थ बनते है। यदि आप पुरुष है तो आप अपने हिसाब से अर्थ निकालेंगे। यदि आप स्त्री अपने हिसाब से अर्थ निकालेंगे
पुरुष नज़रिया से : इतने छोटे पहने की क्या जरूरत। है तो अपने शरीर नुमाइश कर रही है। यह फिर छोटे कपड़े होने से मर्द को लगता है की उसका चरित्र सही नहीं है है। एक सभ्य समाज में छोटे कपड़े पहना शोभा नहीं देता है।
लड़की के कपड़ो से ही उसके चरित्र का अनुमान होता है की लड़की किस तरह है। तो बह लोग उसकी तरफ तो देखेंगे ही। क्या फिर लड़की छोटे कपड़े लोगो आकर्षित करने करने पहनती है। हं अगर सही शब्दों में कहे तो लड़की के छोटे कपड़े लोगो को attion देने के लिए पहनती है।
स्त्री नज़रिये से : लड़की छोटे कपड़े इसलिए पहनती है। की उसकी लाइफ है बह अपने हिसाब से जीना चाहती है।
निष्कर्ष : छोटे कपड़ो पर स्त्री और पुरषो को दोनों को अपनी सोच को बदलने की जरूरत है। छोटे कपड़ो से लड़की आज़ाद नहीं होती और सभी छोटे कपड़े पहनने बलि नहीं होती है।
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