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आदिवासियों ने की थी संजीवनी जड़ी बूटी प्राचीन औषधि चिकित्सा पद्धति की खोज
आदिवासी समाज की होड़ोपौथी चिकित्सा पद्धति 10,000 वर्ष से भी पुरानी है
आदिवासी समुदाय पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली के जनक हैं, हर आदिवासी जन्म-जात चिकित्सक है ! सभ्य समाज होने का दावा करने वाला समूह ने आदिवासियों के जल जंगल ज़मीन का दोहन तो किया ही, उनकी संस्कृति, भोजन पद्धति, औषधि पद्धति और परंपराओं को नुकसान पहुंचाया. उनके प्राचीन कृषि विज्ञान, प्राचीन चिकित्सा विज्ञान को नजरअंदाज कर जबर्दस्ती आयुर्वेद चिकित्सा को थोपा गया !
देश की प्राचीन चिकित्सा पद्धति “होड़ोपौथी” है, आयुर्वेद ज्यादा से ज्यादा 1500 वर्ष पुरानी चिकित्सा पद्धति है. जबकि आदिवासी समाज की होड़ोपौथी चिकित्सा पद्धति 10,000 वर्ष से भी पुरानी है. आयुर्वेद उपचार में अधिक से अधिक 1000 पौधे पर निर्भर है. जबकि होड़ोपौथी में लगभग 5000 पेड़ पौधे होते हैं !
प्राचीन आदिवासी का चिकित्सा विज्ञान है, ब्राह्मण ने नकलकर आयुर्वेद को संस्कृत भाषा में पहले लिखकर प्राचीन घोषित कर दिया. आदिवासी समुदाय अपनी चिकित्सा पद्धति को पहले रिकॉर्ड नही कर पाए !
वर्तमान में भी केंद्र की मोदी सरकार होड़ोपौथी चिकित्सा को आयुर्वेद का हिस्सा बताती है. इतिहासकार और होड़ोपौथी के विशेषज्ञ आयुर्वेद को होड़ोपौथी से निकली चिकित्सा पद्धति बताते हैं !
घने जंगलों में फलने फूलने वाले पेड़ पौधे पत्तियां तने जड़ छाल और फल फूल को किसने खोजा, आविष्कार किसने किया.. प्राकृतिक चिकित्सा विज्ञान आदिवासी की खोज उनका आविष्कार है. लेकिन ब्रैंडिंग कर मुनाफा ब्राह्मण समूह कमा रहा है !
– Kranti Kumar