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केंद्र सरकार के दोहरे चरित्र को उजागर करने के लिए हेमंत बधाई के पात्र हैं
मैंने आज तक किसी भक्त को आदिवासी नेता होने के बावजूद अर्जुन मुंडा या बाबूलाल के लिए उस तरह के अपशब्द बोलते नहीं सुना जिस तरह के शब्दों का इस्तेमाल वे लोग हेमंत सोरेन के लिए करते हैं. इसकी एक वजह शायद यह है कि हेमंत की सरकार अच्छी हो या बुरी, गरीबों-मजलूमों की सरकार है और इसलिए वह उनके आंख की किरकिरी बनी हुई है. लेकिन उसकी असली वजह आदिवासियत की मूल भावना से नफरत है जो अर्जुन मुंडा या बाबूलाल में न के बराबर रह गयी है, जबकि हेमंत आदिवासियत की मूल भावनाओं के अब भी करीब हैं.
हेमंत सोरेन ने कहा क्या था? सिर्फ इतना कि केद्र सरकार यदि कोटा से यूपी के छात्रों को लाने की व्यवस्था कर सकती है तो उसे झारखंड के छात्रों और झारखंड के प्रवासी मजदूरों को भी वापस झारखंड लाने की व्यवस्था करनी चाहिए.
दरअसल, लाॅक डाउन पर केद्र सरकार दोहरे मापदंड अपना रही है. वह मध्यमवर्गीय समाज के कुछ लोगों को लाॅक डाउन के बावजूद एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने की अनुमति दे रही है, लेकिन मजदूर वर्ग के प्रति उसका रवैया बेहद सख्त है. हेमंत सोरेन ने केंद्र सरकार के इस दोहरे चरित्र पर सवाल खड़ा कर साहस का परिचय दिया है. हर झारखंडी को उनके साथ मजबूती से खड़ा होने की जरूरत है.
-विनोद कुमार
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