हिन्दू मुस्लिम की कहानी और एक नया क्रिकेट स्टार

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-Tanvir Khan
यह कहानी है यशस्वी_जयसवाल की जो महज़ 11 साल की उम्र में अच्छे भविष्य की चाह में भदौही यूपी का अपना घर छोड़कर मुम्बई आकर बस गया था, उसके माँ बाप को लगता था कि उनका लड़का रिश्तेदारों के साथ रह रहा है लेकिन मुम्बई की आपाधापी भरी ज़िंदगी में उसका साथ रिश्तेदारों ने नहीं दिया और वोह लड़का कच्ची उम्र में एक दूध डेरी में काम करने लगा और वहीं रहने लगा.
यशस्वी को क्रिकेट का शौक़ था जिसकी वजह से वोह पूरे दिन वहां नहीं रह पाता था इसलिए डेरी वालों ने उसको निकाल दिया, अब उस बच्चे के पास ना नोकरी थी और ना सर के ऊपर छत.
उस लड़के की क्रिकेट के प्रति पहलपन की हद तक लगन और उसके टैलेंट को भारतीय क्रिकेट टीम के पुराने ओपनर रहे वसीम_जाफ़र देख रहे थे, उन्हीने बेघर यशस्वी का आज़ाद मैदान पर ही वहां के मुस्लिम यूनाईटेड क्लब के टेंट में रहने का इंतिज़ाम कर दिया, बीच बीच में वोह फुटपाथ पर पानीपूरी बेचकर कुछ पैसे भी कमाने लगा.
वसीम जाफ़र की मदद से उस लड़के ने अपने ख़्वाबों को पूरा किया और मुम्बई की टीम मेँ जगह बनाली. आज यशस्वी ने मुम्बई की तरफ़ से खेलते हुवे झारखण्ड के ख़िलाफ़ 50 ओवरों के विजय हज़ारे ट्राफ़ी के मैच में 153 गेंदों पर 203 रन बनाकर दोहरा शतक जमा दिया और महज़ 17 साल की उम्र में ऐसा कारनामा करने वाला वोह दुनियाँ का पहला खिलाड़ी बना.
क्या दिनभर हिन्दू मुस्लिम करने वाले नेता और भारतीय मीडिया वसीम जाफ़र से कुछ सबक़ सीखेगा??

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