सवर्ण आरोपियों पर क्यों नही लगाई जाती रासुका ? – रिहाई मंच

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लखनऊ 15 जून 2020. रिहाई मंच ने आजमगढ़ के सिकंदरपुर आयमा गांव का दौरा करने के बाद कहा है कि प्रशासन साम्प्रदायिकता से जोड़कर बीजेपी की भाषा बोल रहा है. मंच ने कहा कि सामंतवाद और साम्प्रदायिकता में अगर फर्क नहीं महसूस कर पा रहे हैं तो समझ बढ़ानी चाहिए. सरकार आज किसी की कल किसी की होगी पर जनता और समाज में विभाजन की गहरी खाई खोदने से देश कमजोर होगा.
रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव, बाकेलाल, उमेश कुमार, विनोद यादव और अवधेश यादव प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे.
रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने मुख्यमंत्री आदित्यनाथ द्वारा आजमगढ़ और जौनपुर में रासुका लगाने के आदेश को राजनीतिक करार दिया. मुख्यमंत्री द्वारा सांप्रदायिक-जातीय घटनाओं पर कार्रवाई पर सवाल किया कि उनके गृहक्षेत्र गोरखपुर के गगहा थाना के पोखरी ग्राम में दलितों पर हुए हमले के खिलाफ क्या कार्रवाई अब तक हुई. क्या वहां रासुका लगाने का आदेश दिया गया. गर्भवती महिला पर हमला करने वाले कितने आरोपियों पर इनाम घोषित किया गया.
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा एक गंभीर सवाल है. ऐसे में एक ही प्रवित्ति की विभिन्न घटनाओ में जहां आरोप मुस्लिम पर है वहां रासुका और जहां आरोपी सवर्ण हैं वहां क्यों नहीं कार्रवाई की जाती. क्या उससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा नहीं है.
सिकंदरपुर आयमा का दौरा कर रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि वहां दलित समाज को मुस्लिम समाज से संवाद में कोई दिक्कत नहीं है. ऐसे में किस आधार पर राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में है. यही वो इलाका है जहां एससी/एसटी एक्ट के सवाल पर हुए भारत बंद के नाम पर दर्जनों दलित युवाओं को जेल में डाल दिया गया था और पश्चिमी यूपी में रासुका के तहत कार्रवाई की गई. शब्बीरपुर सहारनपुर की घटना में सवर्णों पर जो रासुका लगाई गई थी उसे वापस ले लिया था. वहीं चन्द्रशेखर समेत अन्य को जेल में लम्बे समय तक कैद रखा गया. यूपी में रासुका के तहत दलित-मुस्लिम दोनों को निशाना बनाया गया जब दोनों ने एकजुट होकर इसका प्रतिवाद किया तो अब लड़ाने की साजिश संघ गिरोह कर रहा है.
एडीजी जोन वाराणसी द्वारा सिकंदरपुर आयमा में पुलिस द्वारा अच्छा कार्य करने के बयान पर रिहाई मंच महासचिव ने सवाल किया की फिर क्यों थानाध्यक्ष का निलंबन किया गया. वहीं संचार माध्यमों में आया कि मुख्यमंत्री ने एसपी को फटकार लगाई तो थाना प्रभारी का निलंबन हुआ. आखिर राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है ये कैसे तय हो गया. क्या सिर्फ इसलिए कि आरोपी मुस्लिम थे. बच्चों के बीच हुए वाद-विवाद में गैंगेस्टर-रासुका, आवारा तत्वों और सांप्रदायिक गुंडों के खिलाफ कार्रवाई जैसे बयान मामले को टूल देने के लिए दिए जा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि गुंडा एक्ट और गैंगस्टर की कार्रवाई के तहत आजमगढ़ एसपी ने लॉकडाउन में 386 अपराधियों के खिलाफ गैंगेस्टर और 310 अपराधियों पर गुंडा एक्ट की कार्रवाई की बात कही. 200 से ज्यदा लोगों की हिस्ट्रीशीट खोलने का दावा किया गया. 42 हजार से ज्यादा वाहनों का चालान कर 9 लाख रुपए से ज्यादा वसूलने और 5 हजार से अधिक मुकदमे में 10 हजार से ज्यादा लोगों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही. यूपी में लॉकडाउन में बड़े पैमाने पर हुए मुकदमों को लेकर पिछले दिनों पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह तक सवाल उठा चुके हैं.
मंच ने सवाल किया कि क्या जिस तरह से अपराधी के नाम पर वंचित समाज के लोगों को मुठभेड़ो में मारा गया क्या गुंडा एक्ट और गैंगस्टर की प्रक्रिया में भी वही नीति अपनाई जा रही है. गौरतलब है कि आजमगढ़ समेत पूरे सूबे में हुई मुठभेड़ों के नाम पर हत्या का सवाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. महामारी में जेब से खाली, भूख से बेहाल जनता के 42 हजार वाहनों का चालान करना या मुकदमा करना क्या है. जबकि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भी जेलों की संख्या कम करने और हाईकोर्ट ने जमानत देने को कहा है.
एडीजी जोन वाराणसी द्वरा जमीनी विवाद सुलझाने के दावों को लेकर मंच ने कहा कि आजमगढ़ के निजामाबाद तहसील के ताजनापुर में प्रवासी दलित मजदूर के परिजन आरोप लगाते हैं कि उनके बेटे को मारकर पेड़ पर टांग दिया गया और अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.

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