विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद सपा और बसपा समर्थक बल्लियों उछल रहे हैं

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विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद सपा और बसपा समर्थक बल्लियों उछल रहे हैं, खुल के ब्राह्मणों के समर्थन में उतर आए हैं समर्थन में आने का कारण ये नहीं है कि उनको ब्राह्मणों से कोई विशेष प्रेम है, बस 2022 के लिए समीकरण फिट करना है।




अब देखना ये है 2019 में सपा-बसपा के अल्पकालीन गठबंधन के बाद दोनों ही पार्टियों के सोशलमीडिया वारियर्स से थोक के भाव में गालियां खाने के बाद ब्राह्मण किस पार्टी के सामने #सरेंडर करते हैं, सरेंडर शब्द इसलिए यूज किया है, क्योंकि 2019 के चुनाव के पहले सपा-बसपा ने जिस तरह ओवर कोफिडेन्स ब्राह्मणों को गरियाया था उसके बाद लगता नहीं था कि ब्राह्मण कभी इन दोनों पार्टियों की तरफ रुख करेंगे, 
लेकिन अब विकास दुबे के एनकाउंटर को एक बड़ी संख्या में ब्राह्मणों ने नाक का सवाल बनाया है, और खुद अपनी तरफ से ही इशारों-इशारों में इन दोनों पार्टियों को खुद के भाजपा से दूर हो कर उनकी तरफ आने का संकेत दिया है, ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है अन्यथा होता ये तहस कि दोनों पार्टी खासकर के बसपा ब्राह्मणों को रिझाने के लिए बड़े पैमाने पर ब्राह्मण सम्मेलन करवाती रही हैं।




सपा बसपा में से ब्राह्मण किसको चुनते हैं ये भविष्य में पता चलेगा, साथ ही इन दोनों पार्टियों में ब्राह्मण बसपा में परशुराम बन के जाता है या सपा में सुदामा बन के जाता है ये देखना दिलचस्प होगा।
अब अगर 2022 में भाजपा को हराने की बात करी जाए तो सपा-बसपा में से किसी भी एक पार्टी के पास ब्राह्मणों का वोट मिला कर भी जीत का गणित नहीं है……क्या ब्राह्मण भाजपा को हराने के लिए फिर से एक बार सपा-बसपा को एक कर पाएंगे ?




अगर एक कर लिए तो क्या एक अपराधी की वजह से संघ अपने 95 साल की मेहनत(हिंदुत्व की राजनीति को खड़ा करने में) को जाया जाने देगा…… क्योंकि विकास दुबे की मौत से पहले तक यूपी के ब्राह्मण हिंदुत्व के सबसे बड़े पैरोकार रहे हैं।
साथ सपा या बसपा में से किसी एक पार्टी में ब्राह्मणों के खुल के जाने के बाद मुसलमान भाजपा को हराने की आस में पके आम की तरह उस पार्टी की झोली में गिरेगा और मुसलमानों के साथ आते ही ब्राह्मण के हाथ से हिंदुत्व निकल जायेगा, साथ ही सपा-बसपा में कोई एक पार्टी ब्राह्मणों के वोट के दम पर सरकार नहीं बना पाएगी ये निश्चित है……..क्या ब्राह्मण भी एक अपराधी के लिए इतने कमजोर पत्तों पर अपने राजनैतिक वर्चस्व को दांव पर लगाएंगे ?
-विकास राठौर आगरा

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