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सांकेतिक तस्वीर, गूगल फोटो से साभार |
मुसलमानों की आबादी में महिलाओं का प्रतिशत 48.7 है जबकि पुरुष 51.2 फीसदी हैं। सोचने वाली बात यह है कि 1 मुसलमान यदि 4 महिलाओं से शादी करता है तो 75% मुसलमान पुरुष अविवाहित रह जाएँगे क्युँकि उन 3 मुसलमानों के हिस्से की 3 और महिलाओं से उस 1 मुसलमान ने शादी कर ली। मतलब इस देश में सिर्फ 25% मुस्लिम पुरुष ही विवाहित रहेंगे ,शेष 75% मुसलमान या तो कुँवारे हैं या महाज्ञानियों के अनुसार ग़ैर-मुस्लिमों की 4-4 बेटियों से लवजिहाद कर चुके हैं।
ख़ैर, चलिए इस तर्क को मान भी लेते हैं कि देश में हर मुसलमान “चार शादी और चालीस बच्चे” पैदा करता है तो सोचिए कि वह बच्चे हैं कहाँ? क्युँकि 2011 के संसेक्स के आँकड़े तो मुसलमानों की जनसंख्या दर घटती हुई दिखाकर 14 करोड़ पर समेट दे रही है। 2011 के संसेक्स के आधार पर यह सिद्ध हो चुका कि अन्य धर्म वालों के मुकाबले मुसलमानों की जनसंख्या वृद्धी में तेज़ी से गिरावट आयी है।
1981-1991 के बीच जहाँ यह दर 32•9% की थी तो 1991-2001 में यह दर 29•3% और 2001-211 में यह दर और घटकर 24•6% हो गयी। तो यह इस कारण कि मुसलमानों में भी साक्षरता अब धीरे-धीरे बढ़ रही है। यही कारण है कि देश के सबसे साक्षर प्रदेश केरल में मुसलमानों की जनसंख्या दर 12•9% तो बिहार जैसे प्रदेश में हिन्दुओं की जनसंख्या दर 24•6% है।
जनसंख्या की सच्चाई
1950 में – हिन्दू: 30 करोड़, मुस्लिम: 7 करोड़, अन्य: 3 करोड़, 2019 में – हिन्दू: 110 करोड़, मुस्लिम: 17 करोड़, अन्य: 10 करोड़ देश की आबादी बढ़ाने के लिए कौन जिम्मेदार है आप लोग खुद देख सकते हैं। महाज्ञानियों के अनुसार यदि 14 करोड़ मुसलमानों की पुरुष जनसंख्या 7 करोड़ में 50% भी पुरुष विवाहित हैं तो 3•5 करोड़ मुसलमान के 40 बच्चे अर्थात, इस देश में मुसलमानों कि आबादी 143 करोड़ 50 लाख है। ये तो देश की जनसंख्या से भी ज़्यादा हैं। तो क्या मुसलमानों की इतनी आबादी इस देश में है ?
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