मुस्लिमों का आर्थिक बहिष्कार के बाद मुस्लिमो का सरकार पर विश्वास खत्म- Kanupriya

The boycott of Muslims broke the faith of Muslims in many places across the country
SD24 News Network
देशभर में कई जगह मुस्लिमों के आर्थिक बहिष्कार की खबरे सामने आने के बाद मुस्लिमों का सरकार पर से विश्वर उठ गया ।
मुसलमानों का आर्थिक बहिष्कार और उन्ही से सहयोग की उम्मीद ?- कनुप्रिया
मुर्शिदाबाद, इंदौर जैसी घटनाएं क्यों होती हैं? जहां मुस्लिम बस्तियों को पुलिस,डाक्टरों तक पर भरोसा नहीं है?इतनी नफरत कि, पत्थरबाजी तक कर बैठते हैं? पढ़िए, समझिए! Kanupriya जी ने समय देकर लिखा है…
परसों की बात है, हमारे परिचित बीकानेर से सटे मुस्लिम गाँव मे खाना बाँटने गए, लोगों ने खाना लेने से मना कर दिया. जबकि मैं जानती हूँ इस गाँव मे ग़रीबी की क्या हालत है, कुछ परिवारों में बीमारी, कई बच्चे, और ग़रीबी एक साथ पलती है.

मेरा स्कूल वहीं है, और सरकार की तरफ़ से जब जब हमने स्कूल में टीके लगवाने या मुफ़्त दवाइयाँ बाँटने का काम किया तब तब मुझे बहुत दिक़्क़त आई. एक बार एक पेरेंट ने मुझे साफ़ कहा कि मेरा बच्चा ये दवा खाकर मर गया तो कौन जिम्मेदार होगा, तो मुझे कहना पड़ा कि स्कूल की जिम्मेदारी मेरी है तो हर बच्चे की जिम्मेदारी भी मेरी है, यही दवा मेरे बच्चों को भी दी गई है आप मेरी जिम्मेदारी पर दीजिये मगर वो फिर भी नही माना. एक ने कहा मोदी सरकार हमें मारना चाहती है और हम कोई सरकार की तरफ़ से बांटी जाने वाली दवा नही लेंगे, तब मैंने उन्हें समझाया कि सरकार ऐसा नही कर सकती यही दवा सिर्फ़ इसी गाँव के स्कूल में ही नही हर स्कूल में बाँटी गई है, मगर वो नही माने. मगर ऐसा भी हुआ कि कुछ परिवारों ने बात मान ली और बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया, बच्चों ने वो शंका नही दिखाई.

आज मुरादाबाद के मुस्लिम इलाके में मृत व्यक्ति को लेने और अन्य लोगों की जाँच करने गई मेडिकल टीम पर पथराव किया, डॉक्टर की बुरी तरह पिटाई की गई, घटना का ब्यौरा आना बाक़ी है मगर रोष भरी प्रतिक्रिया आनी शुरू हो चुकी है. रोष होना अस्वाभाविक भी नही है मगर हमें ये भी सोचना चाहिये कि ख़ासकर बीजेपी लैड सरकारों ने सम्वेदनशील मुद्दों को किस असंवेदनशीलता से हैंडल किया है, ख़ुद मुख्यमंत्री योगी कैसे बयान देते रहे हैं, मीडिया ने तो कोरोना जिहाद ही बना दिया भारत मे इस बीमारी को जिस पर युवाल हरारी सहित दुनिया भर में लोग चिंता जता रहे हैं.
आप इतना अविश्वास करते हैं लोगों से एक तरफ़ मुसलमानों से कुछ न खरीदने की अपील कर रहे हैं दूसरी तरफ़ उनसे उम्मीद कर रहे हैं कि वो भरोसा करें और संयत प्रतिक्रिया दें. जिस वक़्त सरकार सारे संसाधनों के बाद ग़ैर जिम्मेदारी से काम कर रही है, मीडिया संवेदनशील समय मे ज़हर फैला रहा है आप ग़रीबी, अशिक्षा, बेरोज़गारी और अविश्वास में जकड़े और इन कारणों से धर्म को कसकर पकड़े लोगों से जिम्मेदार व्यवहार की उम्मीद कर रहे हैं?

मैं इस घटना से दुखी हूँ, ऐसा नही होना चाहिए, मगर ऐसी घटनाएँ यदि साम्प्रदायिक एंगल से नही बल्कि संवेदनशील होकर, भरोसे और क़ानून के सदुपयोग से हैंडल की जाएँ तो वो बढ़ने की बजाय घटेंगी, समस्याओं को हल करने के सरकार के तरीके क्या हैं बहुत कुछ इस पर भी निर्भर करता है.
(लेखिका Kanupriya एक टीचर है, यह उनके विचार है, आपको कैसे लगे हमें ज़रूर बताएं)


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(साथियों, अपने इलाके की गतिविधियाँ, विशेषताए, खबरे, लेख, फोटो विडियो माहौल, जानकारी हमें भेजे, चुनिंदा साहित्य को प्रकाशित किया जाएगा socialdiary121@gmail.com)
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