आग लगवाई Kapil Mishra ने, मज़ारों मस्जिदों को तोड़ा, दिल्ली के निर्दोष बूढ़े, बच्चों, जवानों का खून बहाया जै श्री राम का नारा लगाने वाले सांप्रदायिक तत्वों ने । लेकिन कितने बड़े वाले कमीने हैं वो मीडिया चैनल जो दिल्ली हिंसा के आरोप मुसलमानों पर डाल रहे हैं । और इसकी आड़ में पूरे मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नफ़रत फैलाने की अपनी गलीज़ कोशिशों में लगे हुए हैं ।
शर्म उन पुलिस वालों को भी नही आती, जो सिर्फ़ मुसलमानों की ही गिरफ्तारी करने जा रहे हैं । पर कोई भी पुलिसवाला इस नरसंहार के असल मास्टरमाइंड Kapil Mishra को हाथ भी नहीं लगाएगा । ऐसे मौकों पर अहसास होता है कि इस देश में कानून और इंसाफ़ की बातें कितनी खोखली हैं । पहले भी अनगिनत बार देखा ही चुका है, इस बार भी वही 1984 वाला कमीनापन है । वही 1992 वाली मक्कारी है, वही 2002 वाले खूनी भेड़िये हैं…. !!!
लेकिन ख़ैर, अब जनता जाग चुकी है, सुनों दरिंदों !! तुमने हिन्दू मुस्लिम करना चाहा था लेकिन मेरे देश के हिंदू भाईओं ने तुम खूनी भेड़ियों से अपने मुसलमान भाइयों की भरसक जान बचाई । आतंकियों ने मस्जिदों को नुकसान पहुँचाया लेकिन मेरे मुसलमान भाइयों ने अपने हिन्दू भाइयों के मन्दिरों की अपनी जान पर खेलकर हिफाज़त की, मेरे मुसलमान भाइयों ने मज़ारों में आग लगाने वाला हो या हम पर पत्थर मारने वाला, उनको पकड़ने के बावजूद उन्हें हिफाज़त से उनके घर पहुँचा दिया, मेरे हिन्दू भाई ने भीड़ में फंसे मुस्लिम बुज़ुर्ग को निकाला ।
कुछ समझ आ रहा है, हैवानों ?? जनता ने तुम्हारे मुँह पर थूक दिया है । और बहुत जल्दी तुम्हारा बोरिया बिस्तर भी यहां से समेट दिया जाएगा, जनता को आपस में लड़ाकर देश को बेचकर खा जाने का तुम्हारा ख्वाब अब पूरा नहीं होगा । Kapil Mishra की जगह Kafeel Khan या Sharjil Imam होता तो ?
हम देखेंगे !!!
(डिस्क्लेमर – लेखक Sawan Pratap Shinde, एक सामाजिक कार्यकर्ता है)