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पुलिस हिरासत में टॉर्चर और मौत के पीछे सरकार का मौन समर्थन -पूर्व आई.जी. दारापुरी
पूर्व आई.जी. दारापुरी ने कहा- पुलिस हिरासत में टॉर्चर और मौत के पीछे सरकार का मौन समर्थन ! “पुलिस कस्टडी में पुलिस टार्चर की घटनाएँ केवल तमिलनाडु तक ही सीमित नहीं हैं. पुलिस का यह दुराचार पूरे देश में व्याप्त है. नैशनल कैम्पेन अगेंस्ट टार्चर की पुलिस टार्चर के सम्बन्ध में 2019 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार इस अवधि में टार्चर से 1,731 मौते हुयी थीं जिनमें से 1,606 न्यायिक हिरासत में तथा 125 मौतें पुलिस कस्टडी में हुयी थीं. इससे स्पष्ट है कि भारत में अभिरक्षा में हर रोज 5 मौते होती हैं.
इस रिपोर्ट से यह भी निकलता है कि इन 125 मौतों में 7 गरीब और हाशिये के लोग थे. इनमें 13 दलित और आदिवासी तथा 15 मुसलमान थे जबकि 35 लोगों को छोटे अपराधों में उठाया गया था. इनमें 3 किसान, 2 सुरक्षा गार्ड, एक चीथड़े बीनने तथा 1 शरणार्थी था. कस्टडी में महिलाओं और कमजोर वर्गों का उत्पीडन एवं लैंगिक शोषण आम बात है. इस अवधि में 4 महिलाओं की भी पुलिस कस्टडी में मौत हो गयी थी.”
-Randhir Singh Suman