क्या अब (TikTok) टिकटोकीये करेंगे मुसलमानों का नेतृत्व ?

SD24 News Network Network : Box of Knowledge
SD24 News Network
क्या अब (TikTok) टिकटोकीये करेंगे मुसलमानों का नेतृत्व ?
नई दिल्ली : हाल ही में सोशल मीडिया पर बामसेफ के राष्ट्रिय अध्यक्ष तथा बहुजन क्रान्ति मोर्चा के राष्ट्रिय संयोजक वामन मेश्राम की पत्नी निशा मेश्राम इनके TikTok विडियो को लेकर हंगामा मचा हुआ है. लोग तरह तरह के सवाल उठा रहे है. आपको बता दें की मुसलमानों में जानेमाने मौलाना खलील-उर-रहमान सज्जाद नोमानी और मौलाना अब्दुल हमीद अजहरी इन दोनों ने काफी हद तक मुसलमानों को बामसेफ और उनके ऑफशूट विंग से जोड़ा है और यह खुद भी जुड़े हुए है. इससे पहले भी इनपर कई सवाल खड़े किये गए थे जिसके बाद मौलाना सज्जाद नोमानी ने इनसे किनारा कर लिया था. लेकिन आज फिर बामसेफ के महिला विंग की राष्ट्रिय अध्यक्षा निशा वामन मेश्राम के TikTok पर जोकराना विडियो वायरल होने के बाद लोगों ने मौलानाओं को सवालों के घेरे में खडा किया है. 


जोकरों से जुड़े मौलानाओं से सोशल मीडिया पर सवाल उठाये जा रहे है की, 
हजरत उम्र फारुक (रजि.), अबुबकर सिद्दीक (रजि.), सलाहुद्दीन अय्यूबी जैसों का नेतृत्व मानने वाली कौम को TikTok टिकटोकीयों का नेतृत्व स्वीकार करेगी ?
SD24 News Network Network : Box of Knowledge
वामन मेश्राम के कुछ मुस्लिम भक्तों से जोकराना विडियो के बारे में जब सवाल किया गया तो भक्तो ने मासूमियत से जवाब दिया के “यह उनका निजी मामला है” इस बात पर तुरंत दूसरा सवाल दागा गया के, फिरौन, कारून, नमरूद ने जो किया वह भी उनका निजी मामला था तो क्या आप उनको भी अपना कायद बनाओगे ? तब से भक्त लोग गायब हो गए. इस विषय पर सोलापुर निवासी इतिहासकार सरफराज अहमद ने भी सवाल उठाये है.


वामन मेश्राम मुस्लिम समुदाय के कुछ वर्गों को मुक्तिदाता लगते हैं। ऐसे कई कारण हैं कि इस व्यक्ति के पास क्रांतिकारी आंदोलन का नेतृत्व करने की क्षमता नहीं है, जिसे मुस्लिम समुदाय के लिए मुक्तिदाता माना जाता है। नया उच्च वर्ग ऐसे रोमांटिक नायकों को चाहता है। इस वर्ग के पास सांस्कृतिक रूप से खोने के लिए कुछ नहीं है। सवाल उनका नहीं है।
SD24 News Network Network : Box of Knowledge
सवाल यह है कि क्या हाल ही में वामन मेश्राम और पिछड़े मिडिल क्लास और जूनियर वर्ग के अपने गिरोह द्वारा एक नए नेता का जन्म हुआ है। यह नया नेता और कोई नहीं, बल्कि उसकी पत्नी है। सामाजिक आंदोलनों में उनका योगदान किसी के लिए भी अज्ञात है, मेश्राम और उनके अंधभक्तों को छोड़कर। वामन मेश्राम की पत्नी को हाल ही में मौलाना सज्जाद नोमानी के साथ-साथ सीएए और एनआरसी के विरोध प्रदर्शनों पर भी फोटो खिंचवाया गया, जो मुस्लिम समुदाय की सामाजिक संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है।


मेश्राम की उनके संगठन के कई कार्यकर्ताओं द्वारा व्यापक रूप से आलोचना की गई है। मेश्राम ने उन आलोचकों को संगठन के बाहर का रास्ता दिखाया है। और उनके भक्तों द्वारा बहुत उच्च भाषा में गालियाँ दी गई थी। (नोट- मेश्राम भक्तों की गालियाँ इतनी घाटियाँ और निचले दर्जे की होती है की, एक शराबी आवारा भी शरमा जाए, तो सभ्य लोगों का क्या हाल होता होगा.)
SD24 News Network Network : Box of Knowledge
अब मेश्राम अब अपनी पत्नी का नेतृत्व आगे कर रहा है। अफ़सोस की बात के कुछ मुसलमान भी उसे स्वीकार कर रहे है। संगठन को यह तय करना चाहिए कि मैश्रम के नेतृत्व का क्या करना है। मैं उस विषय पर टिप्पणी नहीं करना चाहता। सवाल मुस्लिम समुदाय का है। क्या मेश्राम और उनकी पत्नी का नेतृत्व मुस्लिम समुदाय के लिए सही है? क्या मुस्लिम महिलाओं पर मेश्राम अपनी पत्नी का नेतृत्व थोपना चाहते है ? उनकी पत्नी ने हाल ही में टिक टॉक पर एक अकाउंट से वीडियो बनाया। क्या इससे वे मुस्लिम समुदाय का नेतृत्व कर सकते हैं? और क्या मेश्राम मुस्लिम समुदाय का मुक्तिदाता भी हो सकता है? इस पर बुद्धिमान कार्यकर्ताओं को सोचना चाहिए। ऐसे लोगों से हम कितनी बार धोका खाते रहेंगे ?
-इतिहासकार सरफराज अहमद (अनुवादित)

SD24 News Network Network : Box of Knowledge

SD24 News Network Network : Box of Knowledge


SD24 News Network Network : Box of Knowledge

SD24 News Network Network : Box of Knowledge


SD24 News Network Network : Box of Knowledge

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *