जब नींबू रोया मिर्ची से लिपट कर। टोना_टोटका_स्वाहा Well_Done_ISRO Love_for_Science
चमन झींगुरों मैं ISRO या विज्ञान का मज़ाक नही उड़ा रहा, उसमें चिपके अंधविश्वासी ब्राह्मणवाद को गरिया रहा हूँ। यदि नींबू-मिर्ची टंगा यान सफ़ल हो जाता तो लोग विज्ञान से ज़्यादा टोने-टोटके में यक़ीन करने लगते, इसलिये कुण्डली अनुसार ऑपरेट किये जा रहे ऐसे प्रोजेक्ट फ़ेल होते रहेंगे तो लोगों का ध्यान पौराणिक पाखण्ड के बजाए विज्ञान की बारीकियों की तरफ़ जाएगा, और तभी विज्ञान मानवता के काम भी आएगा।
-Rahul Shende
विज्ञान युग का भक्तिकाल ?
विज्ञान युग की जगह भक्ति युग प्रसार पा रहा है। उसका नमूना एक रोता हुआ वैज्ञानिक पेश कर चुका है। चंद्रयान की विफलता से व्यथित हो विलाप करने लगा। यह एक वैज्ञानिक का विलाप नहीं बल्कि पूरा विज्ञान ही राजनीति के कंधे पर झुक कर रो रहा है कि गलती हो गई बाप!
कल साहित्य और दर्शन रोने वाला है! वह दिन दूर नहीं की कोई साहित्यकार और दार्शनिक यह कहता रोता पाया जाए कि साहित्य और दर्शन राजनीति के पीछे चलने वाली मशाल है!
राजनीति से शक्ति और दिशा मिलती है लेखक विचारक को!
-Rajesh Nodiya
(Rajesh Nodiya, Rahul Shende के निजी विचार फेसबुक वाल से साभार)
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